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सनातन धर्म का प्रचार कर नए राष्ट्र का नव निर्माण करना ही पारस भाई का उद्देश्य

एस्ट्रोलॉजर (Astrologer), बेहतरीन मोटिवेटर (Motivator), मां भगवती व शिव के भजनों (Maa Bhagwati bhajans) से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर देने वाले पारस परिवार (Paras Parivaar) के मुखिया श्री श्री पारस भाई जी (Shri Shri Paras Bhai Ji) की जिंदगी का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म (Sanatan Dharm) का प्रचार, आडंबरों से मुक्ति व गरीबों और बुजुर्गों की सेवा कर नए राष्ट्र का नव निर्माण करना है.

Updated on: 22 Feb 2019, 12:07 PM

नई दिल्ली:

मां भगवती की साधना के साथ-साथ समाज की सेवा करते सच्चे साधक, एस्ट्रोलॉजर (Astrologer), बेहतरीन मोटिवेटर (Motivator), मां भगवती व शिव के भजनों (Maa Bhagwati bhajans) से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर देने वाले पारस परिवार (Paras Parivaar) के मुखिया श्री श्री पारस भाई जी (Shri Shri Paras Bhai Ji) की जिंदगी का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म (Sanatan Dharm) का प्रचार, आडंबरों से मुक्ति व गरीबों और बुजुर्गों की सेवा कर नए राष्ट्र का नव निर्माण करना है. श्री श्री पारस भाई गुरुजी की संस्था पारस परिवार (Paras Parivaar) के नाम से कई वर्षों से समाज कल्याण के कार्यों में कार्यरत है.

मां भगवती के भक्त और गरीबों की सेवा करने वाला पारस परिवार (Paras Parivaar) काफी सरल और साधारण हैं. इसके संचालक पारस भाई जी (paras hai ji) हैं. हर किसी वर्ग के साथ खड़े होने के कारण हर वर्ग और हर वर्ण श्री श्री पारस भाई जी को अपना मानता है. कोई गुरु को श्री पारस भाई (Shri paras bhai) कहता है तो कोई श्री पारस भाई गुरु जी (Shri Paras Bhai Guru ji) तो कोई पारस बेटा (My Son) भी कहता है. अपने सहज और सरल स्वभाव की वजह से लोग उनसे अपना जुड़ाव महसूस करते हैं. यह आत्मीय जुड़ाव एकतरफा नहीं है, पारस भाई की ओर से भी लोगों को उतना ही प्यार और सम्मान मिलता है. वह गरीबों, असहायों, वृद्धों की मदद करने के लिए हर पल हर क्षण तैयार रहते हैं. यही वजह है कि अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद अपना काफी समय सामाजिक कार्यों में बिताते हैं. मां भगवती और भगवान शिव पर पारस भाई की अटूट आस्था है. यह आस्था उन्हें देखने के साथ ही जैसे दिखने लगती है. उनके चेहरे का भाव ही उनकी भक्ति का गवाह है. यही वजह है कि बच्चा हो या बुजुर्ग, महिला हो या पुरुष हर कोई उनके सम्मान में झुक जाता है. ऐसा ही अनुभव करने वाले भक्त उन्हें देवी मां का लाड़ला भी मानते हैं. गरीब उन्हें अपना मसीहा मानते हैं. वह तीज-त्योहार पर गरीबों के लिए सालों से लंगर भी लगाते आ रहे हैं.

उनका कहना है कि गरीबों और असहाय की मदद करने से आत्मशांति मिलती है, इसलिए वह यह कार्य करते रहेंगे. यही कारण है कि वह अक्सर कह उठते हैं कि मैं खुद भूखा रह लूं, लेकिन किसी को भूखे सोने नहीं दूंगा. हर साल भजन गायक श्री पारस भाई (Shri Paras Bhai) की ओर से कड़ाके की सर्दी में गरीबों और असहायों को कंबल और गर्म कपड़े बांटे जाते हैं. कई बार तो वह खुद रात में इस काम के लिए निकलते हैं और अपने हाथों से जरूरतमंदों की मदद करते हैं.

मां भगवती के साधक श्री पारस भाई (Shri Paras Bhai) के देश-विदेश में काफी फॉलोअर्स हैं. उनका देवी मां से अटूट रिश्ता है. उनके पारस परिवार (Paras Parivaar) में केवल हिंदू ही नहीं बल्कि हर धर्म के लाखों करोड़ों लोग शामिल हैं. दिन ब दिन उनके चाहने वालों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. इसका कारण भी साफ है कि उनकी बातों में कभी कोई अंधभक्ति और आडंबर नहीं नहीं दिखता है. वह वर्तमान जमाने की तार्किक बातों से लोगों के मन में उठ रहे सवालों का जवाब देते हैं. उन्हें बताते हैं कि धर्म का सच्चा ज्ञान ही हमारी आने वाली पीढ़ियों को बचा सकता है. वरना हम सब आपस में ही लड़ मरकर इस सृष्टि का नाश कर लेंगे. धर्म, ज्ञान और कर्मकांड के अलावा मां भगवती के उपासक और सुप्रसिद्ध गायक श्रीपारस भाई (Shri Paras Bhai) के अंदर देशभक्ति भी कूट-कूट कर भरी हुई है.

श्री पारसभाई (Shri Paras Bhai) के भजन देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं. समय समय के अन्तराल पर उनके भजन कार्यक्रम ‘‘मां की शाम मां के नाम’’ और ‘‘पारस परिवार प्रार्थना सभा’’ भी देश-विदेश के कई क्षेत्रों में होती रहती है. वहां पारस भाई जी को देखने और सुनने के लिए मां भगवती के उपासक श्रद्धालु काफी संख्या में एकत्रित होते हैं. पारस भाई जी (Paras Bhai Ji) के सोशल मीडिया (Social Media) पर हजारों फॉलोअर्स हैं. उन्होंने कभी कोई ऐसा कार्य नहीं किया, जिससे दूसरे दुखी हों. बिना किसी संत का नाम लिए वह कहते भी हैं कि वह आज के उन संतों की तरह नहीं हैं जो बोलते कुछ और हैं और करते कुछ और. उन्होंने कहा कि जिंदगी में हर सुख संभव हो जाता है, जब नाम माता का पुकारा जाए. उनका कहना है कि कभी किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए. हमें लोभ में आकर दूसरे को तकलीफ नहीं देनी चाहिए. अपनी बात को ईमानदारी से पूरा करना चाहिए. हमें वो वादा नहीं करना चाहिए, जिसको पूरा करने में कोई भी संदेह हो. यही सच्ची इंसानियत है. हमारी कामना है कि मां भगवती व भगवान शिव हमेशा उन्हें अपनी नजरों में रखे, क्योंकि समय को बदलने की क्षमता रखने वाले ऐसे ही महापुरुषों के कारण यह सृष्टि चल रही है. 

(यह आर्टिकल न्‍यूजस्‍टेट की सिंडिकेट फीड से ऑटो जेनरेटेड है.)