Papmochani Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में पापमोचनी एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. पापमोचनी शब्द का अर्थ होता है पापों से मुक्ति. यह व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस साल यह व्रत 25 मार्च 2025 यानी सोमवार को मनाया जा रहा है. मान्यता है कि पापमोचनी एकादशी का व्रत रहने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद हमेशा प्राप्त होता है इसके अलावा आर्थिक तंगी भी दूर होती है. आइये इस लेख में पापमोचनी एकादशी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं.
पापमोचनी एकादशी की पूजा विधि
पापमोचिनी एकादशी के दिन सुबह नहाने के बाद व्रत का संकल्प लें. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें. फिर घर के पूजा स्थल की सफाई करें. इसके बाद एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं. उस पर शिव जी की प्रतिमा रखें. इसके बाद षोडशोपचार विधि से भगवान का पूजन करें. पूजन के दौरान भगवान को चंदन और फल आदि चीजें अर्पित करनी चाहिए. उनके सामने धूप और दीपक जलाना चाहिए. भगवान को धनिया की पंजीरी, फल और मिठाई का भोग लगाना चाहिए. भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए. अंत में भगवान की आरती करके पूजा का समापन करना चाहिए.
पापमोचिनी एकादशी व्रत में क्या खाएं क्या नहीं
पापमोचनी एकादशी के व्रत में दूध, दही, फल, शर्बत, साबूदाना, बादाम, नारियल, शकरकंद, आलू, काली मिर्च, सेंधा नमक, राजगीर का आटा आदि का सेवन करना चाहिए. इस दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही व्रत के दौरान मांस, मदिरा, प्याज आदि जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए.
व्रत में क्या करें क्या नहीं
पापमोचिनी एकादशी व्रत में शुद्ध और सात्विक आचरण का पालन करना चाहिए. इस दिन रात्रि जागरण कर भगवान का भजन-कीर्तन करना चाहिए. इस दिन किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए. एकादशी के दिन क्रोध से बचना चाहिए.
इन चीजों का करें दान
पापमोचनी एकादशी के दिन दान करना बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन गरीबों और जरूरतमंद लोगों को चावल, आटा, दाल, पैसा, कपड़े, फल, जल, छाता और जूते दान करना शुभ माना जाता है.
व्रत में इन मंत्रों का करें जाप-
1. ॐ श्रीं ह्रीं पूर्ण गृहस्थ सुख सिद्धये ह्रीं श्रीं ॐ नमः ।।
2. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
3. ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।।
4. ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।
5. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)