पापमोचन एकादशी 2020: इस साल पापमोचन एकदाशी पर बन रहा खास संयोग, मिलेगा विशेष फल

पुराणों मे कहा गया है कि भगवान विष्णु अपने भक्तों को उनकी इच्छानुसार वरदान देने के लिए एकादशी तिथि को पवित्र मानते हैं. कोई भी भक्त अगर विधि-विधान से एकादशी का व्रत करे तो सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं.

पुराणों मे कहा गया है कि भगवान विष्णु अपने भक्तों को उनकी इच्छानुसार वरदान देने के लिए एकादशी तिथि को पवित्र मानते हैं. कोई भी भक्त अगर विधि-विधान से एकादशी का व्रत करे तो सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं.

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Aditi Sharma
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पापमोचन एकादशी 2020( Photo Credit : फाइल फोटो)

इस साल 19 मार्च यानी गुरुवार को पापमोचन एकदाशी मनाई जाएगी. ये एकादशि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशि को मनाई जाती है. पापमोचन एकदाशी भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में एकादशी का काफी महत्व है. साल 24 एकादशी होती हैं. जब अधिकमास या मलमास आता है, तब उनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. इन एकदाशियों में एक पापमोचन एकादशी भी है. मान्यता है कि जो भी भक्त इस दिन श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा करता है और व्रत रखता है उसके अनजाने में किए हुए सारे पाप नष्ट हो जाते हैं.

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इस साल पापमोचन एकादशी पर विशेष संयोग

इस साल पापमोचन एकदाशी पर विशेष संयोग बन रहा है. दरअसल पापमोचन एकादशी गुरुवार को पड़ रही है. गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और एकादशी के दिन भी भगवान विष्णु की अराधना की जाती है. ऐसे में पापमोचन एकदाशी का महत्व और भी बढ़ जाता है. पुराणों मे कहा गया है कि भगवान विष्णु अपने भक्तों को उनकी इच्छानुसार वरदान देने के लिए एकादशी तिथि को पवित्र मानते हैं. कोई भी भक्त अगर विधि-विधान से एकादशी का व्रत करे तो सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं.

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पापमोचन एकदाशी शुभ मुहूर्त

पापमोचनम एकादशी शुरू- 19 मार्च सुबह 4.26 पर
पापमोचनम एकादशी खत्म- 20 मार्च सुबह 5 बजकर 59 मिनट तक
पारण मुहूर्त- 20 मार्च दोपहर 1. 41 से शाम 04.07 तक

पूजा विधि

दशमी के दिन एक वेदी बनाकर उस पर सप्तधान रखें.
फिर अपने सामर्थ्य के अनुसार स्वर्ण, रजत, ताम्बा या मिट्टी का कलश बनाकर उस पर स्थापित करें.
एकदशी के दिन उस कलश में पंचपल्लव रखकर श्री विष्णु की मूर्ति स्थापित करें और विधि सहित धूप, दीप, चंदन, फूल, फल और तुलसी से पूजन करें.
व्रती पूरे दिन भगवान की कथा का पाठ और श्रवण करें
रात में कलश के सामने बैठकर जागरण करे. द्वादशी के दिन कलश को योग्य ब्राह्मण या पंडित को दान कर दें.

Source : News Nation Bureau

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