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सावन के पहले सोमवार को नासिक के त्र्यमंबकेश्वर मंदिर में पूजा करने के लिए लगी भक्तों की भीड़

इस मंदिर से जुड़ी कहानी यह है कि गौतम ऋषि को गौ हत्या के पाप से मुक्त करने के लिए स्वयं महादेव यहां प्रकट हुए थे.

Updated on: 22 Jul 2019, 12:24 PM

highlights

  • सावन के पहले सोमवार को शिवभक्तों ने लगाई शिवालयों में हाजिरी.
  • नासिक स्थित त्र्यम्बकेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है.
  • यहां भगवान शिव की पूजा करने से कालसर्प दोष का निवारण होता है.

नई दिल्ली:

सावन के पहले सोमवार को नासिक में भगवान त्र्यंबकेश्वर महादेव के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है. भगवान शिव का यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. चारों ओर केवल ओम नम: शिवाय के मंत्र का ही उच्चारण हो रहा है. सावन के महीने में देश-विदेश से नासिक स्थित इस शिवलिंग के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में भक्तगण आते हैं. इस मंदिर में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही देवताओं के ज्योतिर्लिंग रुप में दर्शन होते हैं.

पिण्ड रूप में तीनों देवों के दर्शन होने के कारण ही इस मंदिर का नाम त्र्यमंबकेश्वर पड़ा. यह मंदिर ब्रह्म गिरी पर्वत और गोदावरी नदी के किनारे बसा है. कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी शिव भक्त अपनी मुराद लेकर आता है उसकी सारी मनोकामना पूरी होती है. इस मंदिर से जुड़ी कहानी यह है कि गौतम ऋषि को गौ हत्या के पाप से मुक्त करने के लिए स्वयं महादेव यहां प्रकट हुए थे.

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क्या है पूरी कहानी

पुराणों के अनुसार कहानी ये है कि एक बार महर्षि गौतम के तपोवन में रहने वाले ब्राह्मण की पत्नियां किसी बात पर गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या से नाराज हो जाती है. उन सभी पत्नियों ने अपने पति को गौतम ऋषि का अपमान करने के लिए प्रेरित किया. उन ब्राह्मणों ने इसके लिए भगवान गणेश की आराधना की उनकी आराधना से प्रसन्न होकर गणेश जी ने उनसे वरदान मांगने को कहा. उन ब्राह्मणों ने कहा प्रभु किसी भी प्रकार ऋषि गौतम को इस आश्रम से बाहर निकाल दीजिए. गणेश जी को विवश होकर उनकी बात माननी पड़ी.

तब गणेश जी ने एक दुर्बल गाय का रूप धारण कर ऋषि गौतम के खेत में जाकर फसल खाने लगे. गाय को फसल खाते देख ऋषि गौतम ने हाथ में डंडा लेकर उसे उस गाय को वहां से भगाने की कोशिश करने लगे. उनके डंडे का स्पर्श होते हैं गाय वहीं गिर कर मर जाती है. उस समय सारे ब्राह्मण एकत्रित होकर गौ हत्यारे कह कर ऋषि गौतम का अपमान करने लगे. ऐसी विषम परिस्थिति को देखकर गौतम ऋषि उन ब्राह्मणों से प्रायश्चित और उधार का उपाय पूछा.

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तब उन्होंने कहा गौतम तुम अपने पाप को सर्वत्र बताते हुए तीन बार पृथ्वी की परिक्रमा करो फिर लौटकर यहां 1 महीने तक व्रत करो. इसके बाद ब्रम्हगिरी का 101 बार परिक्रमा करो तभी तुम्हारी शुद्धि होगी. अथवा यहां गंगा जी को लाकर उनके जल से स्नान करके एक करोड़ पार्थिव शिवलिंग से भगवान शिवजी की आराधना करो. इसके बाद फिर से गंगा जी में स्नान करके इस ब्रह्मगिरी के 11 बार परिक्रमा करो. फिर 100 घरों के पवित्र जल से पार्थिव शिवलिंग को स्नान कराने से तुम्हारा उद्धार होगा.

उसके बाद भी गौतम ऋषि ने सारे कार्य पूरे करके पत्नी के साथ पूर्णता तल्लीन होकर भगवान शिव की आराधना करने लगे. इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे वर मांगने को कहा. महर्षि गौतम ने कहा भगवान आप मुझे गौ हत्या के पाप से मुक्त कर दीजिए. भगवान शिव ने कहा गौतम तुम सर्वदा निष्पाप हो. गौ हत्या का अपराध तुम पर पर छल पूर्वक लगाया गया था. ऐसा करने के लिए तुम्हारे आश्रम के ब्राह्मणों को मैं दंड देना चाहता हूं.

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इस पर महर्षि गौतम ने कहा उन्हीं के उस कार्य से मुझे आपके दुर्लभ दर्शन प्राप्त हुए हैं. अब उन्हें मेरा परम समझ कर उन पर आप क्रोध ना करें. बहुत सारे ऋषि मुनियों और देवगन ने वहां उपस्थित होकर ऋषि गौतम बात का अनुमोदन करते हुए भगवान शिव से सदा वहीं पर निवास करने की प्रार्थना की. फिर भगवान शिव ने उन सब की बात मानकर वहां त्रंबक ज्योतिर्लिंग के रूप मे वही स्थित हो गए.

इस तीर्थ में त्रिपिंडी पूजा की जाती है. इसके अलावां यहां पूजा करने से कालसर्प दोष का निवारण भी हो जाता है.

यहां पूजा करने के बाद 22 से 40 किलोमीटर की फेरी नंगेपांव की जाती है. माना जाता है कि ऐसा करने से सारी विपदाएं टल जाती है और भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है. माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पेशवाकाल के समय में हुआ था.