Nirjala Ekadashi 2025: कब है निर्जला एकादशी? यहां जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Nirjala Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में ज्येष्ठ का महीना भगवान विष्णु को समर्पित है. ज्येष्ठ माह में निर्जला एकादशी मनाई जाती है. मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से भक्त को सभी एकादशियों के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है.

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Rajvant Prajapati
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Nirjala Ekadashi 2021

Nirjala Ekadashi 2025 (Social Media)

Nirjala Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में ज्येष्ठ माह बहुत ही पावन होता है. यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित है. ज्येष्ठ माह में निर्जला एकादशी मनाई जाती है. मान्यता हैं कि निर्जला एकादशी व्रत करने से साधक को सभी एकादशियों के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं साल 2025 में निर्जला एकादशी का व्रत कब है...

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निर्जला एकादशी कब है?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत 06 जून को रखा जाएगा. एकादशी तिथि का शुभ मुहूर्त 06 जून को सुबह 2:15 बजे शुरू होगी और 07 जून को सुबह 4:47 बजे समाप्त होगी. इस प्रकार उदयातिथि का निर्जला व्रत 06 जून को रखा जाएगा. वहीं निर्जला एकादशी व्रत 07 जून को पारण किया जाएगा. इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

निर्जला एकादशी पूजा विधि

निर्जला एकादशी व्रत के नियम दशमी तिथि से ही शुरू हो जाते हैं. दशमी तिथि को घर के दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान-ध्यान करना चाहिए. साधक को गंगाजल से स्नान करना चाहिए तथा जल का एक घूंट पीकर एकादशी व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद पीले रंग के कपड़े धारण करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें. अब लक्ष्मी नारायण की भक्ति पूर्वक पूजा करें. दशमी तिथि को सात्विक भोजन करें. साथ ही ब्रह्मचर्य शास्त्र का पालन करें.  किसी से द्वेष न रखें और न ही किसी को दुख पहुंचाएं. एकादशी तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त में उठें. इस समय लक्ष्मी नारायण जी का ध्यान कर उन्हें प्रणाम करें और मंत्र का पाठ करें.

निर्जला एकादशी का महत्व

हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का बेहद खास महत्व है. इस व्रत को करने से साधक की लंबी आयु होती है. वहीं, मृत्यु के बाद साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है. निर्जला एकादशी सभी एकादशियों में श्रेष्ठ है. निर्जला एकादशी व्रत के दौरान जल ग्रहण वर्जित है. इस व्रत को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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