मां सिद्धिदात्री की उपासना करने के बाद ही भगवान शिव बने थे अर्धनारीश्वर, आप भी जाने उन्हें कैसे करें प्रसन्न
आज नवरात्र का नवां और आखिरी दिन है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। इनकी आराधना से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं और आपकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।
नई दिल्ली:
आज नवरात्र का नवां और आखिरी दिन है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। इनकी आराधना से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं और आपकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।
कमल के आसन पर विराजमान मां सिद्धिदात्री के हाथों में कमल, शंख गदा, सुदर्शन चक्र है। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को यश, बल और धन की प्राप्ति होती है। मां की स्तुति से हमारी अंतर्रात्मा पवित्र होती है। यह हमें सत्कर्म करने की प्रेरणा देती है।
मां दुर्गा की नावों शक्तियों का नाम सिद्धिदात्री है। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इन्हीं शक्ति स्वरूपा देवी की उपासना करके सभी शक्तियां प्राप्त की थीं। इसके प्रभाव से शिव का आधा शरीर स्त्री का हो गया था। शिवजी का यह स्वरूप अर्धनारीश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
सिद्धिदात्री को देवी सरस्वती मां का स्वरूप कहा जाता है, जो श्वेत वस्त्र धारण किए भक्तों को ज्ञान देती हैं। मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए इन्हें नवाहन का प्रसाद, नवरस युक्त भोजन तथा नौ प्रकार के फल-फूल इत्यादि अर्पण करें। इससे भक्तों को धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां की आराधना के साथ नीचे दिए गए उनके ध्यान मंत्र का भी जाप करें। इससे आपके सभी दुख दूर हो जाएंगे और आपके घर में सभी की सुख-सम्पदा वास करने लगेगी।
ध्यान मंत्र
सिद्धगधर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
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