Navratri 2022: अलोप शंकरी देवी शक्तिपीठ पर उमड़ी भक्तों की भीड़

Navratri 2022: मान्यता है कि अलोपशंकरी मंदिर में पालने की पूजा करने और कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने वाले हर देवी भक्त की मन्नत पूरी होती है। हाथ में धागा बंधे रहने तक देवी मां उसकी रक्षा करती हैं।

Navratri 2022: मान्यता है कि अलोपशंकरी मंदिर में पालने की पूजा करने और कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने वाले हर देवी भक्त की मन्नत पूरी होती है। हाथ में धागा बंधे रहने तक देवी मां उसकी रक्षा करती हैं।

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Mohit Sharma
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Navratri 2022

Navratri 2022( Photo Credit : FILE PIC)

मां दुर्गा के कई स्वरूप हैं, जिनके दर्शन-पूजन के लिए शक्तिपीठों में देवी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। देवी के इन मंदिरों में अपने विभिन्न रूपों में मां विद्यमान हैं। प्रत्येक मंदिर में मां के किसी न किसी अंग के गिरने की मूर्त निशानी मौजूद है, लेकिन संगम नगरी में मां सती का एक ऐसा शक्तिपीठ मौजूद है जहां न मां की कोई मूर्ति है और न ही किसी अंग का मूर्त रूप है। अलोपशंकरी देवी के नाम से विख्यात इस मंदिर में लाल चुनरी में लिपटे एक पालने का पूजन और दर्शन होता है।

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इस अनूठे मंदिर में आने वाले भक्त किसी प्रतिमा की नहीं, वरन झूले या पालने की ही पूजा करते हैं। श्रद्धालु कुंड से जल लेकर पालने पर चढ़ाते हैं और चबूतरे की परिक्रमा कर मां सती का आशीर्वाद लेते हैं। यहां पर मां को केवल नारियल और पुष्प ही चढ़ता है। दूर-दूर से श्रद्धालु मां की पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। नवरात्र में यहां पर मेला लगता है। लोग मन्नत पूरी होने पर कड़ाही भी चढ़ाते हैं और हलवा पूड़ी का भोग मां को अर्पित करने के बाद अपने परिवार संग प्रसाद के रूप में खाते हैं।

मान्यता है कि अलोपशंकरी मंदिर में पालने की पूजा करने और कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने वाले हर देवी भक्त की मन्नत पूरी होती है। हाथ में धागा बंधे रहने तक देवी मां उसकी रक्षा करती हैं। नवरात्र में इस मंदिर में माता रानी  का श्रृंगार तो नहीं होता लेकिन उनके सभी स्वरूपों का पाठ किया जाता है। नवरात्र में यहां काफी भीड़ होती है। मां का दर्शन पाने के लिए लोगों को घंटों प्रतीक्षा करना पड़ता है। सोमवार और शुक्रवार को मंदिर पर मेला लगता है। मंदिर में प्रसाद की तमाम दुकानें हैं जिन पर मां को अर्पित करने के लिए नारियल, चुनरी, पुष्प आदि मिलते हैं। दूसरे किस्म की दुकानें भी हैं जिन पर सिंदूर, चूड़ी और अन्य श्रृंगार प्रसाधन के साथ बच्चों के खिलौने मिलते हैं।

Source : Manvendra Pratap Singh

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