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कुंवारी कन्याओं की नवरात्रि में क्यों की जाती है पूजा( Photo Credit : File Photo)
Navratri 2020: इस साल 17 अक्टूबर से शुरू हो रही शारदीय नवरात्रि (Sharad Navratri) 25 अक्टूबर को खत्म होगी. अधिकमास (Adhik Maas 2020) के चलते इस बार एक माह देर से नवरात्रि शुरू हो रही है. हर साल पितृपक्ष की अंतिम तिथि के अगले दिन से ही शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाती है लेकिन इस बार अधिक मास होने के कारण नवरात्रि 17 अक्टूबर 2020 से शुरू हो रही है. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और इस दौरान कन्या पूजन का भी रिवाज है.
नवरात्रि में देवी के दर्शन और 9 दिन तक व्रत और हवन करने के बाद कन्या पूजन का बड़ा महत्व है. कन्या पूजा सप्तमी से ही शुरू हो जाती है. कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर पूजा की जाती है. कन्याओं के पैर धोए जाते हैं और आदर-सत्कार से भोजन कराया जाता है. मान्यता है कि कन्या पूजन करने वाले भक्त को माता दुर्गा सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं. कन्या पूजन से सम्मान, लक्ष्मी, विद्या और तेज हासिल होता है और विघ्न, भय और शत्रुओं का नाश भी होता है. होम, जप और दान से देवी इतनी प्रसन्न नहीं होतीं, जितनी कन्या पूजन से होती हैं.
कन्या पूजन में दो से 11 साल की 9 बच्चियों की पूजा की जाती है. दो वर्ष की कुमारी, तीन वर्ष की त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छ वर्ष की बालिका, सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं.
देवी पुराण में कहा गया है कि एक बार देवराज इंद्र ने ब्रह्मा जी से भगवती को प्रसन्न करने की विधि पूछी. इस पर ब्रह्मा जी ने सर्वोत्तम विधि के रूप में कन्या पूजन करने के बारे में बताया था. नौ कुमारी कन्याओं और एक कुमार को विधिवत घर में बुलाकर और उनके पांव धोकर रोली-कुमकुम लगाकर पूजा-अर्चना की जाती है. सभी कन्याओं को वस्त्र आभूषण, फल-पकवान और अन्न दिया जाता है. कन्या पूजन से भक्त पर मां शक्ति की कृपा सदैव बनी रहती है.
Source : News Nation Bureau