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Navratri 2020 : कलश स्‍थापना में क्‍या है जौ बोने का महत्‍व, जानें यहां

Navratri 2020 : इस बार 17 अक्टूबर से नवरात्रि प्रारंभ हो रही है. 17 नवंबर से 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्‍वरूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी. नवरात्र की शुरुआत प्रतिपदा की तिथि पर कलश स्थापना के साथ होती है.

Updated on: 01 Oct 2020, 03:56 PM

नई दिल्ली:

Navratri 2020 : इस बार 17 अक्टूबर से नवरात्रि प्रारंभ हो रही है. 17 नवंबर से 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्‍वरूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी. नवरात्र की शुरुआत प्रतिपदा की तिथि पर कलश स्थापना के साथ होती है. नवरात्रि में कलश स्‍थापित करने से पहले साफ मिट्टी में जौ बोने की परंपरा है. नवरात्र के पूरे 9 दिन यह ख्‍याल रखा जाता है कि बोया गया जौ अच्छे से बढ़ता रहे. नवरात्र की शुरुआत के दिन जौ बोने की परंपरा और इसके धार्मिक महत्‍व के बारे में आज हम आपको बताएंगे.

धार्मिक मान्‍यताओं की मानें तो परमपिता ब्रह्मा ने जब सृष्‍टि की रचना की तो वनस्पति के नाम पहली फसल जो विकसित हुई वो 'जौ' की थी. इसी कारण नवरात्रि के पहले दिन कलश स्‍थापना से पहले विधि-विधान से जौ बोने की परंपरा चली आ रही है. जौ को परमपिता ब्रह्मा जी का प्रतीक माना जाता है और इसी कारण सबसे पहले जौ की पूजा की जाती है और उसे कलश से पहले स्‍थापित किया जाता है.

माना जाता है कि नवरात्रि में बोया गया जौ जितनी तेजी से बढ़ता है, भक्‍त की तरक्‍की भी दिन दूनी, रात चौगुनी होती है. जौ ठीक से नहीं बढ़ रहा है तो पूजा के समापन यानी कि अष्टमी व्रत के परायण से पहले मां दुर्गा से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें. इसके अलावा मां दुर्गा के बीज मंत्र का 1008 बार जाप करें.