Navratri 2020: जानें नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, इन बातों का रखें ध्यान
Navratra 2020: इस बार नवरात्रि 17 अक्टूबर से आरम्भ हो रही है और 24 अक्टूबर को इसका समापन होगा. नवरात्रि (Sharadiya Navratri) की पूजा के लिए कलश स्थापना (Kalash Sthapana) आश्विन शुक्ल प्रतिपदा यानी मां शैलपुत्री की पूजा के दिन ही की जाती है.
नई दिल्ली:
Navratra 2020: इस बार नवरात्रि 17 अक्टूबर से आरम्भ हो रही है और 24 अक्टूबर को इसका समापन होगा. नवरात्रि (Sharadiya Navratri) की पूजा के लिए कलश स्थापना (Kalash Sthapana) आश्विन शुक्ल प्रतिपदा यानी मां शैलपुत्री (Maa Shailputri) की पूजा के दिन ही की जाती है. इस बार प्रतिपदा रात्रि 09.08 बजे तक रहेगी. लिहाजा कलश स्थापना रात्रि 09.08 बजे से पहले हो जाना चाहिए. इस बार कलश स्थापना के लिए चार शुभ मुहूर्त हैं. पहला शुभ मुहूर्त शनिवार यानी कल सुबह 07.30 से 09.00 तक, दोपहर 01.30 से 03.00 तक, दोपहर 03.00 से 04.30 तक और शाम को 06.00 से 07.30 तक.
कलश स्थापना के कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. सबसे पहले तो घर की सफाई कर लें और पूजा स्थल को शुद्ध कर लें. गंगाजल से उस स्थान का शुद्धिकरण कर लें. एक लकड़ी का पटरा, जिसे चौकी बोलते हैं, उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. उस पर थोड़े चावल रखकर सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करें. एक मिट्टी के पात्र में जौ बोएं. फिर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें. कलश पर रोली से स्वस्तिक या ऊं का निशान बनाएं. कलश में रक्षा सूत्र बांधें और फिर सुपारी, सिक्का, पान का पत्ता, दूब आदि डालें. फिर आम या अशोक के पल्लव उस पर रखें.
फिर चावल (अक्षत) से भरे ढकने को कलश के मुख पर रखें. एक नारियल पर चुनरी लपेटकर रक्षा सूत्र से बांधकर कलश के ढकने पर रखकर सभी देवताओं का आवाहन करें. अंत में दीप जलाकर कलश की पूजा करें. कलश पर भोग लगाएं. ध्यान रखें कि कलश सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का ही हो.
नवरात्रि में नौ दिन व्रत रखने की परंपरा है. लोग निर्जला भी व्रत रखते हैं और फलाहारी भी. कई लोग लौंग खाकर ही व्रत करते हैं तो कुछ लोग तुलसी पत्र के साथ पानी पीकर ही व्रत रह लते हैं. आम तौर पर अधिकांश लोग नवरात्रि की प्रतिपदा यानी पहले दिन और अष्टमी का व्रत रखते हैं. नौ दिन व्रत रखने वाले दशमी को पारायण करते हैं. जो लोग प्रतिपदा और अष्टमी को व्रत रखेंगे वो लोग नवमी को पारायण करते हैं. व्रत में ज्यादा तला-भुना और गरिष्ठ आहार न करें.
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