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Navratri 2020 : सुबह-शाम माता रानी की पूजा के बाद आरती जरूर करें, शंख फूंकें और घंटी बजाएं

आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि के नौ दिनों में देवी मां के नौ स्‍वरूपों की पूजा की जाती है. माना जाता है कि सच्‍चे मन से देवी मां की पूजा करने से वे सारे दुखों को हर लेती हैं और भक्‍तों की सभी मनोकामनाएं पूरा करती हैं.

Updated on: 17 Oct 2020, 11:41 PM

नई दिल्ली:

आज से शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि के नौ दिनों में देवी मां के नौ स्‍वरूपों की पूजा की जाती है. माना जाता है कि सच्‍चे मन से देवी मां की पूजा करने से वे सारे दुखों को हर लेती हैं और भक्‍तों की सभी मनोकामनाएं पूरा करती हैं. नवरात्रि (Navratri) में माता की सुबह-शाम पूजा करना होता है और साथ ही आरती भी करनी जरूरी होती है. बिना आरती के कोई भी पूजा पूरी नहीं मानी जाती. लिहाजा सुबह-शाम पूजा के बाद मातारानी (Mata Rani) की आरती जरूर करें.

आरती के लिए एक थाल में कपूर या फिर गाय के घी का दीपक जलाएं और मातारानी की आरती करें. आरती के समय शंख और घंटी बजाते रहें. शंख और घंटी से निकली आवाज घर और आसपास के वातावरण में सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार करती है और घर में नकारात्‍मकता को प्रवेश नहीं करने देती. इसलिए माता रानी की आरती जरूर करें.

मां दुर्गाजी की आरती/Maa Durga Aarti

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।। जय अम्बे गौरी,...।
मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।। जय अम्बे गौरी,...।
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।। जय अम्बे गौरी,...।
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।। जय अम्बे गौरी,...।
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।। जय अम्बे गौरी,...।
शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।। जय अम्बे गौरी,...।
चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।। जय अम्बे गौरी,...।
ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।। जय अम्बे गौरी,...।
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।। जय अम्बे गौरी,...।
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।। जय अम्बे गौरी,...।
भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।। जय अम्बे गौरी,...।
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।। जय अम्बे गौरी,...।
अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।। जय अम्बे गौरी,...।