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मां शैलुत्री (प्रतीकात्मक फोटो)
चैत्र नवरात्रि के साथ हिंदु नव वर्ष की शुरूआत होती है। नवरात्रि में दुर्गा मां के लिए व्रत रखा जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।
पहले दिन पहले दिन मां के रूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है।कहा जाता है कि पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इनका मां का नाम शैलपुत्री पड़ा। शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार होती हैं और इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है।
पहले दिन स्नान-ध्यान करके कलश स्थापना से इनकी पूजा शुरू की जाती है। मां शैलपुत्री के चरणों में गाय का घी अर्पित करने से मां प्रसन्न होती है।
इनकी पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों, दिक्पालों, दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों को भी आमंत्रित किया जाता और कलश में उन्हें विराजने के लिए प्रार्थना सहित उनका आहवान किया जाता है।
कैसे करे पूजा
पूजा के स्थान ठीक से साफ और शुद्ध करें। इसके बाद माता की तस्वीर भी साफ जल से शुद्ध करें, इसके बाद लकड़ी के पाटे पर लाल वस्त्र बिछा कर उस पर कलश रखें और माता की तस्वीर भी स्थापित करें।
अब एक मुट्ठी में चावल लेकर माता का ध्यान करते हुए अर्पित करें। इसके बाद मां को चूनर चढ़ायें और लाल रोली की बिंदी लगायें। अंत में मां की आरती करके उन्हें प्रणाम करें।
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Source : News Nation Bureau