हिन्दू आस्था का बड़ा त्यौहार नवरात्रि शुरू हो गया है। ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। दशमी के दिन भगवान राम रावण का वध करते हैं। नवरात्रि के मौके पर न्यूज स्टेट अपने स्पेशल कवरेज में रामायण से जुड़े सभी सात कांड (बालकांड, अयोध्याकांड अरण्यकांड, किष्किन्धाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड, उत्तरकांड) से आपको रूबरू कराएगा।
आइये जानते हैं राम के जन्म से विवाह तक की कहानी:
अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं- कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी। राजा दशरथ के कोई संतान नहीं थीं। संतान प्राप्ति के लिए राजा दशरथ ने 'पुत्रेष्टि यज्ञ' किया और फिर रानी कौशल्या के गर्भ से राम ने जन्म लिया। सुमित्रा ने दो पुत्रों शत्रुघ्न और लक्ष्मण को जन्म दिया और कैकेयी ने भरत को।
इसी बीच मिथिला के राजा जनक के यहां सीता का जन्म होता है। कहा जाता है कि जब राजा जनक संतान प्राप्ति के लिये खेत जोत रहे थे उसी समय उनका हल एक मटके से टकराया और उसमें से सीता मिलीं। राजा जनके ने इन्हें अपनी पुत्री के रूप में अपना लिया।
महर्षि विश्वमित्र अयोध्या आए और चारों राजकुमारों की शिक्षा के लिये उन्हें अपने साथ लेकर गए। थोड़े ही समय में चारों भाइयों ने अस्त्र-शस्त्रों के साथ ही वेद, पुराण, शास्त्र, राजनीति व अर्थशास्त्र आदि में निपुणता प्राप्त कर ली।
उनकी शिक्षा के दौरान ही महाराजा जनक ने सीता के विवाह के लिए स्वयंवर रचाया। उनकी शर्त थी कि जो शिव धनुष को तोड़ देगा सीता का विवाह उसी से होगा।
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स्वयंवर में आए राजा-महाराजा भगवान शिव का धनुष उठा भी नहीं सके। उसके बाद महर्षि विश्वामित्र ने राम को आज्ञा देते हुए कहा- हे राम! उठो, शिवजी का धनुष तोड़ो और जनक का संताप मिटाओ।
तब राम ने धनुष उठा कर प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयत्न किया और उसी समय तेज आवाज करते हुए टूट गया। उसके बाद राम और सीता का विवाह हुआ।
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Source : News Nation Bureau