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नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली ? जानिए क्या है सही नाम

छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक नरक शब्द वर्णित दैत्य राजा नरकासुर से जुड़ी हुई है. चतुर्दशी का मतलब चौदहवां दिन है.

Updated on: 03 Nov 2021, 04:01 PM

नई दिल्ली:

आज यानी कि 3 नवंबर को छोटी दिवाली (choti diwali)है. आज के दिन बाजारों की चहल-पहल और रौनक देखने लायक है. छोटी दिवाली से पहले धनतेरस मनाया जाता है. ये तो सभी को पता है. लेकिन, छोटी दिवाली के बारे में सब नहीं जानते. बता दें, छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी ( Narak Chaturdashi) के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक नरक शब्द वर्णित दैत्य राजा नरकासुर से जुड़ी हुई है. चतुर्दशी का मतलब चौदहवां दिन है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, छोटी दिवाली कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. छोटी दिवाली का सिर्फ नर्क चतुर्दशी ही नाम नहीं है. बल्कि इसे रूप चतुर्दशी (roop chaturdashi) और काली चतुर्दसी (kaali chaturdashi) के नाम से भी जाना जाता है. तो चलिए आपको छोटी दिवाली के मुहूर्त (muhurat) वगैराह के बारे में बताना शुरू करते है. 

                                       

NARAK CHATURDASHI -सबसे पहले आपके मन में अगर ये सवाल चल रहा है कि छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी क्यों कहा जाता है. तो पहले इस शंका का समाधान बड़े ही आसान से शब्दों में कर देते है. इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर (narkasur )नाम के राक्षस का वध किया था. बस, तभी से इसे नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है. 

                                       

Narak Chaturdashi 2021 Muhurat- ये तो सभी जानते है कि आज यानी 3 नवंबर को छोटी दिवाली है. तो वहीं, कल यानी कि 4 नवंबर को बड़ी दिवाली है. लेकिन, चलिए अब छोटी दिवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त भी बता देते है. तो, पंचागों के अनुसार छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी का मुहूर्त रात को 9 बजकर 2 मिनट से कल यानी 4 नवंबर को सुबह 6 बजकर 3 मिनट तक है. इस समय में छोटी दिवाली की पूजा करना शुभ माना गया है. 

                                         

DIWALI 2021 POOJA VIDHI-वहीं अगर बात इस दिन की पूजा विधि की करें तो इस दिन लोग भगवान कृष्ण, काली माता, यम और हनुमान जी की पूजा करते हैं. माना जाता है कि इससे आत्मा की शुद्धि होती है. पूर्व में किए गए पापों का नाश होता है. इसके साथ ही नरक में जाने से भी मुक्ति मिलती है. कुछ जगहों पर तो नरकासुर राक्षस के पुतले का दहन भी किया जाता है. 

सिर्फ इतना ही नहीं इस दिन यम दिया (YUM KA DIYA) जलाने का भी वि्शेष महत्व होता है. इस दिन यम के नाम का दिया प्रज्वलित करने की भी एक अलग कथा है. जिसमें ये माना जाता है कि एक बार यमदेव ने अपने दूतों को अकाल मृत्यु से बचने का तरीका बताते हुए कहा था कि जो व्यक्ति कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन दीप प्रज्वलित करता है. उसे अकाल मृत्यु का डर कभी नहीं रहेगा. इसलिए नरक चतुर्दशी पर शाम के समय यम के निमित्त दीपदान करने की परंपरा है.

                                         

ये तो हो गया कि छोटी दिवाली के अलग-अलग नाम, पूजा विधि, दिए का महत्व मुहूर्त. अब, आखिरी में जरा ये भी बता देते है कि इस दिन किन कामों को करना चाहिए जिससे दिवाली के दिन किसी तरह का संकट ना आए. तो, बता दें कि नरक चतुर्दशी के दिन पहला काम यही होता है कि इस दिन नहाने से पहले तेल की मालिश करनी चाहिए. क्योंकि माना जाता है कि चतुर्दशी को लक्ष्मी जी तेल और गंगा सभी जलों में निवास करती हैं. इसलिए इस दिन तेल मालिश करके जल से स्नान करने पर मां लक्ष्मी के साथ गंगा मैय्या का भी आशीर्वाद मिलता है. इसके साथ ही जीवन में भी तरक्की मिलती है. कुछ जगहों पर तेल स्नान से पहले उबटन लगाने की भी परंपरा है.