Lord Vishnu And Narad: नारद नहीं जानें कौन था भगवान विष्णु का परम भक्त

Lord Vishnu And Narad: नारद जी का नाम आते ही सब नारायण नारायण कहने लगते हैं. भले ही आपको ऐसा लगे कि भगवान विष्णु का नाम सबसे ज्यादा जपने वाले उनके परम भक्त नारद जी थे तो आपको बता दें कि ये सही नहीं है...

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Inna Khosla
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Lord Vishnu And Narad

Supreme Devotee of Lord Vishnu( Photo Credit : News Nation)

Supreme Devotee of Lord Vishnu: मुनियों के देवता नारद जी ऋषिराज के नाम से भी जाने जाते थे. वो दिन भर नारायण नारायण बस यही जाप किया करते थे. एक दिन उन्हें ऐसा लगा कि वो भगवान विष्णु का इतना ध्यान करते हैं तो वही उनके सबसे परम भक्त हैं. अपने मन की बात भगवान विष्णु से करने वो उनके पास गए. तब उन्होंने पूछा- भगवान आपका परम भक्त कौन है... तब विष्णु जी ने कहा - अमुक गांव का अमुक किसान मेरा परम भक्त है. ये बात सुनकर नारद जी हैरान हुए और उसका नाम पता जानकर वो उसके गांव जा पहुंचे.

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नारद जी ने सोचा भला ये किसान ऐसा क्या करता है जो ये भगवान विष्णु का सबसे परम भक्त बन गया. उन्होने एक पूरा दिन इस किसान की दिनचर्या को देखा. वो सुबह 4 बजे सोकर उठा उसने उठते हैं दो बार नारायण नारायण कहा फिर अपने काम में लग गया. जानवरों को खिलाने-पिलाने और खेतों में काम करने के बाद जब वो सूर्यास्त के समय घर लौटा तब उसने खाना खाया और सोने चल दिया. सोने से पहले उसने फिर से जपा नारायण नारायण. 

नारद की हैरान रह गए कि इसने पूरे दिन में सिर्फ 4 बार प्रभु का नाम लिया है ऐसे में ये उनका परम भक्त कैसे हुए. वो विष्णु जी के पास पहुंचे. और अपने मन की व्यथा उन्हें बतायी. तब भगवान विष्णु ने उन्हें जल से भरा एक लोटा दिया और कहा - ‘इसको लेकर आप सूर्यास्त तक भ्रमण कीजिए, लेकिन ध्यान रहे, इसमें से एक बूंद पानी भी न गिरे। यदि ऐसा होता है, तो मेरा सुदर्शन चक्र आपके पीछे रहेगा, एक बूंद भी पानी गिरा तो वह आपकी गर्दन काट लेगा।’

Supreme Devotee of Lord Vishnu

भगवान की आज्ञा का पालन भला वो कैसे ना करते उन्होंने दिनभर लोटा अपने सिर पर रखा और भ्रमण करते रहे. पूरा दिन उन्होंने एक बूंद पानी भी नहीं गिरने दिया और सूर्यास्त के बाद वो वापस प्रभु के पास लौटे. उन्हें लग रहा था कि उन्होंने विष्णु जी द्वारा दिए काम को अच्छे से संपन्न किया है इसलिए वो अब उनके परम भक्त बन जाएंगे. उन्होंने लोटा ले  जाकर प्रभु के सामने रखा और राहत की सांस ली. तब विष्णु जी ने पूछा तुम्हारा भ्रमण कैसा रहा. नारद जी ने कहा - ‘आपके सुदर्शन चक्र व भरे पानी के कारण भ्रमण में तनाव बना रहा।’

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फिर भगवान विष्णु ने नारद जी से पूछा ‘भ्रमण में कितनी बार मेरा नाम लिया?’ 

नारद जी ने उत्तर देते हुए कहा - ‘भगवान! एक तो जल भरा कटोरा लेकर चलना और उस पर आपके सुदर्शन चक्र का पीछे-पीछे चलना- उसमें पूरा ध्यान इन बातों पर था। आपका नाम कहां से लेता।’ 

उनकी ये बात सुनकर विष्णु जी ने नारद जी से कहा, ‘इसी प्रकार गृहस्थ जीवन की आपाधापी, आजीविका अर्जन की गला काट देने के भय वाली कठिनाइयों के बाद भी, यदि किसान सुबह-शाम मेरा नाम ले लेता है, तो निश्चित रूप से वह सर्वश्रेष्ठ भक्त है।’

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भगवान विष्णु और नारद जी की ये पौराणिक कहानी बहुत ही प्रसिद्ध है. इस कहानी का अर्थ ये है कि जो भी सच्चे दिल से भगवान का नियमपूर्वक नाम लेता है वो भगवान का प्रिय भक्त होता है. उस पर भगवान का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है. इसी तरह की और स्टोरी पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन पर हमारे साथ यूं ही जुड़े रहिए. 

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