Nag Panchami 2019: इस बार नागपंचमी पर बन रहा यह दुर्लभ योग, ऐसे करें पूजा
सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागदेव के पूजन करने की परंपरा है. इस बार 125 सालों बाद तीसरे सोमवार के दिन नागपंचमी (Nag Panchami 2019)पड़ रही है.
नई दिल्ली:
इस बार 125 सालों बाद तीसरे सोमवार के दिन नागपंचमी (Nag Panchami 2019)पड़ रही है. सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागदेव के पूजन करने की परंपरा है. एक तो भगवान शिव का सबसे प्रिय मास, उनका सबसे प्रिय दिन सोमवार और साथ ही उनके प्रिय आभूषण नाग देवता के पूजन का दिन. अगर तीनों एक साथ मिल जाएं इससे अद्भ्सुत कोई संयोग हो ही नहीं सकता. तो अगर आप कालसर्प दोष से परेशान हैं तो इस दिन नाग देवता की पूजा करें, कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाएगी. नाग देवता की पूजा करने से भगवान शंकर जल्द प्रसन्न होते हैं.
सावन के तीसरे सोमवार को इस बार नाग पंचमी (Nag Panchami 2019)भी पड़ रही है. सोमवार के कारण नाग पंचमी (Nag Panchami 2019)का फल दोगुना हो जाएगा. संयोग के साथ-साथ इस दिन यायीजयद योग के साथ हस्त नक्षत्र है. इसलिये अगर आप भी शिव जी के साथ साथ नाग देवता की भी कृपा पाना चाहते हैं तो इस शुभ मुहूर्त में उन्हें दूध पिलाएं और पूजा करें.
नाग पंचमी (Nag Panchami 2019)शुभ मुहूर्त
नाग पंचमी (Nag Panchami 2019)4 अगस्त शाम 6.49 बजे शुरू होगी. 5 अगस्त के दिन नाग पंचमी (Nag Panchami 2019)का शुभ मुहूर्त सुबह 5:49 से 8:28 के बीच पड़ रहा है. जबकि समाप्ति तिथि इसी दिन दोपहर 3:54 तक रहेगी.
नाग पंचमी (Nag Panchami 2019)पर कैसे करें पूजा
पहले शिव जी की पूजा करें. महिलाएं दीवारों पर नाग का चित्र बनाकर दूध से स्नान कराके विभिन्न मंत्रों से पूजा अर्चना करें. कालसर्प दोष से पीड़ित लोग इस दिन विशेष पूजन कर इसकी शांति करा सकते हैं. इस दिन दुग्ध से रुद्राभिषेक कराने से प्रत्येक मनोकामना की पूर्ति होती है. प्रसाद में लावा और दूध बांटते हैं. जिनकी कुंडली राहु से पीड़ित हो, वो इस दिन रुद्राभिषेक अवश्य करें.
नाग पूजन के दौरान इन मंत्रों का करें जाप -
ॐ भुजंगेशाय विद्महे,
सर्पराजाय धीमहि,
तन्नो नाग: प्रचोदयात्..
अनंत वासुकी शेषं पद्मनाभं च मंगलम्
शंखपालं ध्रतराष्ट्रकंच तक्षकं कालियं तथा.
एतानी नव नामानि नागानां च महात्मना
सायंकाले पठे नित्यं प्रातःकाले विशेषतः
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्..
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले
ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:.
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:.
क्यों मनाई जाती है नागपंचमी
एक बार देवताओं तथा असुरों ने समुद्र मन्थन से चौदह रत्नों में उच्चै:श्रवा नामक अश्वरत्न प्राप्त किया था. यह अश्व अत्यन्त श्वेत वर्ण का था. उसे देखकर नागमाता कद्रू तथा विमाता विनता- दोनों में अश्व के रंग के सम्बन्ध में वाद-विवाद हुआ. कद्रू ने कहा कि अश्व के केश श्यामवर्ण के हैं. यदि उनका कथन असत्य सिद्ध हो जाए तो वह विनता की दासी बन जाएंगी अन्यथा विनता उनकी दासी बनेगी.
नागमाता ने नागों को दिया भस्म होने का शाप
कद्रू ने नागों को बाल के समान सूक्ष्म बनाकर अश्व के शरीर में प्रवेश होने का निर्देश दिया, किन्तु नागों ने अपनी असमर्थता प्रकट की. इस पर क्रोधित होकर कद्रू ने नागों को शाप दिया कि पाण्डव वंश के राजा जनमेजय नागयज्ञ करेंगे, उस यज्ञ में तुम सब भस्म हो जाओगे.
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