मुसलमान भी मानते हैं सूर्यग्रहण को अशुभ, जानें 5 रोचक तथ्य
30 नवंबर को चंद्र ग्रहण लगा था और अब 14 दिसंबर को सूर्यग्रहण लगने जा रहा है. हालांकि चंद्र ग्रहण की तरह इस बार का सूर्यग्रहण भारत में प्रभावी नहीं होगा. हमारे सनातन धर्म में ग्रहण को लेकर कई तरह की मान्यताएं मानी जाती हैं.
नई दिल्ली:
30 नवंबर को चंद्र ग्रहण लगा था और अब 14 दिसंबर को सूर्यग्रहण (Solar Eclipse 2020) लगने जा रहा है. हालांकि चंद्र ग्रहण की तरह इस बार का सूर्यग्रहण भारत में प्रभावी नहीं होगा. हमारे सनातन धर्म में ग्रहण को लेकर कई तरह की मान्यताएं मानी जाती हैं. धर्मग्रंथों में माना जाता है कि ग्रहण का संबंध राहु से है. उधर, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हमारी राशियों पर भी ग्रहण का विशेष प्रभाव पड़ता है. हिंदू धर्म ही नहीं, इस्लाम में भी कुछ कारणों से ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता. आज हम आपको ग्रहण से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी बताएंगे.
सबसे पहले चीनी किताब में सूर्यग्रहण का जिक्र : हिंदू धर्म के कई ग्रंथों में भी ग्रहण का जिक्र मिलता है, लेकिन शुंचिंग नाम की एक चीनी किताब में सबसे पहले खग्रास सूर्यग्रहण का जिक्र किया गया है. किताब में करीब 4 हजार साल पहले ई.पू. 22 अक्तूबर 2137 में हुए खग्रास सूर्यग्रहण के बारे में बताया गया है.
वाल्मीकि रामायण के अरण्य कांड में सूर्यग्रहण का वर्णन : पूर्ण सूर्यग्रहण का जिक्र वाल्मीकि रामायण के अरण्य कांड में भी किया गया है. अरण्य कांड में सूर्यग्रहण के दृश्य का वर्णन करते हुए बताया गया है कि सूर्य के पास गहरे लाल रंग की चकती दिखी. दिन में ही अचानक शाम होने लगी और फिर रात भी हो गई. इससे जीव-जंतु भयभीत हो गए. दरअसल, राहु ने सूर्य का ग्रास कर लिया था और सूर्य का तेज मंद पड़ गया था. सूर्य की काली चकती के चारों ओर रिंग ऑफ फायर जैसा दिख रहा था.
इस्लाम में सूर्यग्रहण मतलब कयामत का वक्त : पैगम्बर के बेटे की 22 जनवरी 632 को अकाल मृत्यु हो गई. तब वलयाकृत सूर्यग्रहण लगा था. 2 जुलाई 632 को भी वलयाकृत सूर्यग्रहण लगा था. इस दिन मुआवैया ने पैगम्बर के दामाद के खिलाफ बगावत किया था. इस्लाम में सूर्यग्रहण को कयामत का वक्त कहा जाता है. मुहम्मद साहब सूर्यग्रहण होने पर मस्जिद में चले जाते थे और सबसे लंबा कियाम करते थे. पैगंबर मुहम्मद साहब का कहना है कि ग्रहण जब भी हो तो अल्लाह को याद करो और अपने गुनाहों के लिए माफी मांगो.
सूर्यग्रहण पर क्या कहता है ऋग्वेद : भारत के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में भी सूर्यग्रहण का उल्लेख है. ऋग्वेद में स्वरभानु राक्षस को सूर्यग्रहण की वजह बताया गया है. भगवान विष्णु द्वारा चक्र से काटे जाने पर स्वरभानु ही राहु और केतु बन गया था. ग्रहण लगने के बाद अंधेरा छा गया, जिससे देवता परेशान हो गए और अत्रि ऋषि के पास गए. ऋषि ने अपनी शक्ति से अंधेरे को दूर कर दिया. इससे पता चलता है कि अत्रि ऋषि को ग्रहण के बारे में पता था. ग्रहण संबंधी सभी नियमों का जिक्र मनुस्म़ति, ग्रहलाघव, निर्णयसिंधु, अथर्ववेद में हुआ है.
सूर्यग्रहण के चलते ही बची थी अर्जुन की जान : महाभारत के युद्ध के दौरान भी पूर्ण सूर्यग्रहण लगा था. गांडीवधारी अर्जुन के प्राण ग्रहण के चलते ही बचे थे. उधर, सूर्यग्रहण के समय ही पांडव जुए में अपना सर्वस्व हार गए थे. यह भी कहा जाता है कि नंदगांव में बिछड़ने के बाद सूर्यग्रहण के कारण ही राधा और श्रीकृष्ण कुरुक्षेत्र में मिल पाए थे.
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