भारत को ऋषि मुनियों का देश भी कहा जाता है. आज भी ऐसे कई चमत्कारी बाबा हैं जो अपनी जान की परवाह किए बिना ऐसी तपस्या करते हैं कि उनके चमत्कार देख वैज्ञानिक भी हाथ जोड़ लेते हैं. खड़ेश्वरी बाबा, बाबा अमर भारती और प्रहलाद जानी बाबा के बारे में अगर आप नहीं जानते तो अब जान जाएंगे. इनकी दशकों तक चली तपस्या और साधना ने एक से बढ़कर एक वैज्ञानिक को हैरान कर दिया. एक-दो बार नहीं बल्कि कई बार कई अलग-अलग वैज्ञानिकों ने इनके ऊपर रिसर्च की लेकिन ये पता नहीं लगा पाए कि आखिर ये बाबा ये सब करते कैसे हैं. तो इनके चमत्कार क्या हैं जिनके आगे विज्ञान भी फेल हो गया आइए जानते हैं.
खड़ेश्वरी बाबा
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खड़ेश्वरी बाबा उत्तर प्रदेश के मथुरा में रहने वाले एक प्रसिद्ध संत हैं. उनका दावा है कि वे पिछले 42 वर्षों से लगातार खड़े हुए हैं और न तो बैठते हैं और न ही लेटते हैं. उनके इस अद्भुत दावे ने न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में लोगों का ध्यान आकर्षित किया है. ये बाबा लगभग 41 साल से खड़े हैं और ये अपने सभी काम खड़े-खड़े ही करते हैं और जब इन्हें सोना होता है तो एक पालने पर सिर टिकाकर सो जाते हैं. 2010 में, भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने खड़ेश्वरी बाबा का अध्ययन किया. उन्होंने 48 घंटों तक उनकी निगरानी की और पाया कि वे वास्तव में बिना बैठे या लेटे हुए खड़े रहे. हालांकि, वैज्ञानिक बाबा की शारीरिक स्थिति के बारे में कोई निश्चित निष्कर्ष नहीं दे पाए.
बाबा अमर भारती
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बाबा अमर भारती एक भारतीय संत हैं जिन्होंने 50 से अधिक वर्षों तक अपना दाहिना हाथ हवा में उठाए रखने का दावा किया है. उनके इस दावे ने वैज्ञानिकों और मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है, और कई लोग जानना चाहते हैं कि नासा ने उनके बारे में क्या कहा है. इन बाबा ने लगभग 50 सालों से अपना हाथ नीचे नहीं किया है. 1973 में इन्होंने अपनी बीवी और तीन बच्चों को छोड़कर वैराग्य का रास्ता अपनाया. नासा के पास बाबा अमर भारती के दावों के बारे में कोई आधिकारिक राय नहीं है. कुछ वैज्ञानिकों ने उनका अध्ययन किया है, लेकिन उनके निष्कर्ष भिन्न हैं.
प्रहलाद जानी बाबा ('चुनरीवाले माताजी')
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गुजरात के मेहसाणा में रहने वाले इन बाबा ने लगभग 80 साल से कुछ नहीं खाया है. प्रहलाद जानी बाबा योग साधना करते थे और बताते थे कि जब वो 12 साल के थे तब देवी जैसी तीन कन्याएं उनके पास आई और उन्होंने उनकी जीभ पर ऊँगली रखी. तब से लेकर आज तक उन्हें न प्यास लगी और ना ही भूख लगी. जानी का दावा था कि वे सूर्य की ऊर्जा से जीवित रहते थे. उन्होंने योग और ध्यान के माध्यम से अपनी शक्तियां प्राप्त करने का दावा किया था. कई वैज्ञानिकों ने उनके दावों की जांच की, लेकिन वे निश्चित निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाए. जानी के समर्थक उनका मानना था कि वे एक चमत्कारी संत थे.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau