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Maghi Purnima 2020: माघी पूर्णिमा पर संगम में उमड़ा आस्था का जनसैलाब

जहां त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने के लिए आम श्रद्धालुओं के अलावा संत और सिद्ध भी पहुंचते हैं, माघी पूर्णिमा के दिन अमेठी से आये मौनी बाबा एक बार फिर कौतूहल का केंद्र तब बने...

Updated on: 09 Feb 2020, 10:47 AM

Prayagraj:

माघ मेले के दौरान धर्म नगरी प्रयागराज में बड़ी संख्या में श्रृद्धालु जप-तप, यज्ञ हवन और तमाम अनुष्ठान करने पहुंचते हैं. जहां त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने के लिए आम श्रद्धालुओं के अलावा संत और सिद्ध भी पहुंचते हैं, माघी पूर्णिमा के दिन अमेठी से आये मौनी बाबा एक बार फिर कौतूहल का केंद्र तब बने...जब वो अपने शिविर से दण्डवत परिक्रमा करते हुए संगम स्नान के लिए निकले, रेतीली ठंडी और भीगी ज़मीन पर हठ योगी मौनी बाबा ज़मीन पर लेटते हुए संगम पहुंचे तो उन्हें देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुट गई. मौनी बाबा बताते है कि ये चक्रवर्ती दण्डवत परिक्रमा है जो वो अपने संकल्पों को पूरा करने के लिए करते हैं और फिर मां गंगा उनकी सुनती हैं. उनके सभी संकल्प पूर्ण करती हैं.

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माघी पूर्णिमा स्नान पर्व पर करीब 25 लाख श्रद्धालुओं को संगम स्नान करवाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है. जिसके लिए व्यापक पैमाने पर सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. करीब ढाई हजार पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई है, 200 के करीब हाई पॉवर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, सुरक्षा की दृष्टि से ड्रोन के जरिये मेले के चप्पे चप्पे पर नज़र रखी जा रही है, जहां एटीएस, एसटीएफ के कमांडो भी तैनात है, पुलिस प्रशासन के लिए आज बड़ी चुनौती ट्रैफिक मैनेजमेंट भी क्योंकि लाखों की संख्या में आज कल्पवासी आज अपना कल्पवास पूर्ण कर साजो-सामान सहित घर लौट रहे हैं.

माघी पूर्णिमा पर संगम में उमड़ा आस्था का जनसैलाब

जानकारी के अनुसार सुबह दस बजे तक करीब नौ लाख श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई. ब्रह्म मुहूर्त से ही स्नानार्थियों के स्नान का क्रम लगातार जारी है. धूप निकलने के बाद संगम आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद बड़ गई है. माघी पूर्णिमा के स्नान के लिए स्नान घाटों पर खास इंतजाम किए गए हैं. प्रशासन का अनुमान है माघी पूर्णिमा पर लगभग 25 लाख श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे. स्नान के बाद आध्यात्मिक ऊर्जा बटोर कल्पवासी अपने घरों को लौट रहे हैं. एक माह तक कठिन तप और जप करने वाले साधु संत भी स्नान के बाद अपने मठ मंदिरों में लौटेंगे वापस.