Masik Shivratri Vrat Katha: मासिक शिवरात्रि पर पढ़ें ये कथा, शिव जी आपकी हर अधूरी इच्छा करेंगे पूरी!
Masik Shivratri Vrat Katha: हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि व्रत का खास महत्व होता है. इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है. मासिक शिवरात्रि पर आपको ये कथा जरूर पढ़नी चाहिए.
नई दिल्ली:
Masik Shivratri Vrat Katha: हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि व्रत का खास महत्व होता है. पंचांग के अनुसार हर मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मासिक शिवरात्रि किया जाता है.इस बार 8 फरवरी 2024 को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा. इस इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक शिव जी की पूजा करने और व्रत रखने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र, पुष्प, धूप-दीप और भोग अर्पित करने के बाद शिव मंत्रों का जप किया जाता है. इसके साथ ही मासिक शिवरात्रि की पूजा इस कथा के बिना अधूरा माना जाता है. इस दिन ये कथा पढ़ना बेहद शुभ माना जाता है. इससे भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं. आइए यहां पढ़ें पूरी कथा.
मासिक शिवरात्रि व्रत कथा (Masik Shivratri Vrat Katha)
मासिक शिवरात्रि, भगवान शिव को समर्पित एक विशेष व्रत है जो हर मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस व्रत का महत्व अत्यधिक है और इसका पालन करने से भक्त भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते हैं. इस व्रत की कथा भगवान शिव की अपनी अनुग्रह दृष्टि से जुड़ी हुई है.
कहानी यहां से शुरू होती है कि एक समय की बात है, एक ब्राह्मण नामक श्रद्धालु अपने गांव में रहता था. उसकी पत्नी बहुत धर्मिक थी और हर मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मासिक शिवरात्रि व्रत का पालन करती थीं. धर्मपत्नी की आदतों को देखकर ब्राह्मण ने भी इस व्रत को अपना लिया.
एक बार मासिक शिवरात्रि के दिन, ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने संगीत सहित भगवान शिव की पूजा की और उनके चरणों में अपनी भक्ति व्यक्त की. वह दोनों ने समर्पित भाव से व्रत किया और भगवान शिव से आशीर्वाद मांगा कि वह उन्हें सदैव अपनी कृपा में रखें.
व्रत के बाद ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने गांव की ओर पथिकों को प्रेम भाव से बुलाया और उन्हें भिक्षा दी. इसी दिन को भिक्षाटनी भी कहा जाता है, जिसमें भक्त अपने अच्छूत और पवित्र भाग्य को अन्यों के साथ साझा करता है.
इसी समय, गांव में एक अत्यंत गरीब ब्राह्मण आया, जिसका रूप बहुत ही दीन और दुखी था. ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने उसे अपने साथ भोजन करने के लिए बुलाया और उसे भगवान शिव की कृपा से पूर्ण हुआ भोजन दिया.
इस प्रकार भगवान शिव के व्रत के पालन से ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने न केवल अपने अच्छूत को साझा किया, बल्कि दीन-दुखी को भी अपने साथ भोजन करने का सौभाग्य प्रदान किया. इसके पश्चात, उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त हुई और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो गईं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
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