Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गा अष्टमी पर जरूर करें ये 1 काम, माता रानी खुशियों से भर देंगी झोली!

Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन पूजा-अर्चना के बाद दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए. मान्यता है कि इससे जातक के जीवन के कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है.

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Sushma Pandey
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Durga Chalisa in Hindi

Durga Chalisa in Hindi( Photo Credit : social media )

Masik Durgashtami 2024: आज यानि 17 फरवरी को मासिक दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी. पंचांग के अनुसार  मासिक दुर्गा अष्टमी हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. यह दिन मां दुर्गा को समर्पित है. मान्यता है कि जो भी भक्त इस दिन जगत जननी की पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा करता है तो मां अंबे उसपर अपनी कृपा बरसाती है. इसके अलावा आपको इस दिन पूजा-अर्चना के बाद दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए. मान्यता है कि इससे जातक के जीवन के कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है. आइए यहां पढ़ें दुर्गा चालीसा का संपूर्ण पाठ. 

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यहां पढ़ें दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa in Hindi)

 नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
शंकर अचरज तप कीनो। काम क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपु मुरख मोही डरपावे॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जियऊं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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Source : News Nation Bureau

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