महाशिवरात्रि: ऐसे हुआ था शिव-पार्वती का विवाह, सभी के सामने मौन हो गए थे महादेव

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। हिंदु धर्म के अनुसार, हर वर्ष फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है।

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। हिंदु धर्म के अनुसार, हर वर्ष फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है।

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Sonam Kanojia
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महाशिवरात्रि: ऐसे हुआ था शिव-पार्वती का विवाह, सभी के सामने मौन हो गए थे महादेव

महाशिवरात्रि पर भक्त निकालते हैं भव्य बारात

देवों के देव महादेव के बारे में कहा जाता है कि वह जिस पर भी प्रसन्न हो जाते हैं, उसकी झोली खुशियों से भर देते हैं। कहते हैं कि महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव-पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन शिव-पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था और इसी दिन प्रथम शिवलिंग प्रकट हुआ था।

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वैसे तो शिवभक्त महादेव के भोलेपन, गुस्से और उनका पत्नी पार्वती के प्रति प्रेम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव और पार्वती की शादी बड़े ही भव्य तरीके से हुई थी। विवाह में देवताओं-असुरों से लेकर जानवर, भूत-पिशाच और कीड़े-मकोड़े तक शामिल हुए थे। ऐसे तो देवताओं और असुरों के बीच हमेशा झगड़ा होता रहता था, लेकिन शादी में सभी उत्साह के साथ शरीक हुए।

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...जब मौन हो गए शिव

पौराणिक मान्यता के अनुसार, शिव-पार्वती के विवाह से पहले वर-वधू की वंशावली घोषित होनी थी। वधू पक्ष की ओर से तो वंशावली घोषित कर दी गई, लेकिन वर पक्ष यानी शिव जी की तरफ से कोई भी रिश्तेदार मौजूद नहीं था। ऐसे में पार्वती के घरवालों को हैरानी और चिंता हुई कि वो ऐसे घर में अपनी बेटी भेज रहे हैं, जहां वर के माता-पिता, रिश्तेदार या भाई-बहन ही नहीं हैं।

पार्वती के पिता पर्वत राज ने शिव से अनुरोध किया कि वो अपने वंश के बारे में कुछ बताएं, लेकिन तब शिव ने पार्वती समेत सभी के सामने मौन धारण कर लिया। इसके बाद नारद मुनि ने सभी को बताया कि उनके माता-पिता या कोई वंश नहीं है क्योंकि महादेव स्वयंभू हैं। इन्होंने खुद अपनी रचना की है।

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महाशिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। हिंदु धर्म के अनुसार, हर वर्ष फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था।

प्रलय की बेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं, इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया।

उपवास करने से होते हैं ये फायदे

यह दिन भगवान शंकर का सबसे पवित्र दिन माना जाता है। यह अपनी आत्मा को पवित्र करने का महाव्रत है। इस व्रत को करने से सब पापों का नाश हो जाता है।

महाशिवरात्रि का समय

महाशिवरात्रि: 24 फरवरी

निशिथ काल पूजा: 24:08 से 24:59

पारण का समय: 06:54 से 15:24 (फरवरी)

चतुर्दशी तिथि आरंभ: 21:38 (24 फरवरी)

चतुर्दशी तिथि समाप्त: 21:20 (25 फरवरी)

Source : News Nation Bureau

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