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Makar Sankranti: आज दान करते हैं खिचड़ी, खिलजी को हराने के लिए किया था आविष्कार 

मकर संक्रांति (Makar sankranti) पर खिचड़ी खाने का प्रचलन है लेकिन इसकी खोज कैसे हूई, ये जानना भी बहुत दिलचस्प है.

Updated on: 14 Jan 2022, 12:19 AM

नई दिल्ली :

Makar Sankranti Khichadi: आज मकर संक्रांति (Makar Sankranti ) के दिन खिचड़ी दान करने का या दाल-चावल दान करने का विशेष महत्व है. घरों में भी आज खिचड़ी बनाई जाती है. दाल-चावल मिलाकर बनाई जाने वाली खिचड़ी भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरह से बनाई और खाई जाती है. हालांकि खिचड़ी की खोज कैसे हुई इससे जुड़ी हुई एक जनश्रुति है, जो बहुत प्रसिद्ध है. तमाम लेखों में दावा किया जाता है कि खिचड़ी की खोज खिलजी से लड़ने के लिए बाबा गोरखनाथ ने की थी. ऐसा कहा जाता है कि जब खिलजी भारत में तमाम स्थानों पर आक्रमण कर रहा था तब खिलजी का गोरखनाथ संप्रदाय के संन्यासियों से भी युद्ध हुआ. यह युद्ध लंबे समय तक चलता रहा. युद्ध के कारण संन्यासियों का खानपान बहुत प्रभावित होने लगा क्योंकि वह नियम के अनुसार ही बनाते व खाते थे. ऐसे में संन्यासी कमजोर होने लगे. 

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यह देख गुरु गोरखनाथ ने दाल और चावल एक साथ बनाने की शुरुआत की. इसी से खिचड़ी का आविष्कार हुआ. धीरे-धीरे यह भारत के विभिन्न भागों में लोकप्रिय हो गई. भारत में खिचड़ी विभिन्न स्थानों पर विभिन्न प्रकार से बनाई जाती है. खिचड़ी के साथ दही, पापड़, घी अथवा अचार आदि का प्रयोग बहुतायत किया जाता है. एक ग्रामीण कहावत भी है- खिचड़ी के चार यार, घी-पापड़-दही-अचार. डायटीशियन अंशुल टंडन का कहना है कि खिचड़ी बहुत ही सुपाच्य और पौष्टिक भोजन है. यह स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम है.