Makar Sankranti Patang Bazi: मकर संक्रांति पर क्यों उड़ाई जाती है पतंग? श्रीराम से जुड़ी है कहानी
Makar Sankranti Patang Bazi: इस दिन लोग अपनी-अपनी छतों व मैदानों में डट जाते हैं और पतंग उड़ाते हैं. पतंगबाजों आपस में खूब पैंतरेबाजी दिखाते हैं और एक-दूसरे की पतंग काटकर आनंद का अनुभव करते हैं
New Delhi:
Makar Sankranti Patang Bazi: भारत एक परंपराओं और त्योहारों का देश है. देश भी सभी त्योहार पौराणिक रीति रिवाजों और मान्यताओं के आधार पर बनाए गए हैं. इन्हीं त्योहारों में से एक है मकर संक्रांति का त्योहार. देशभर में यह त्योहार पूरे हर्षोल्लास के सात मनाया जाता है. हालांकि अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति का त्योहार भिन्न-भिन्न तरीके से मनाया जाता है. मान्यता है कि जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो उसको संक्रांति कहा जाता है. इस दिन स्नान और दान करने का रिवाज है. इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी 2024 को मनाया जाएगा.
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मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की सदियों पुरानी परंपरा
हर साल मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की सदियों पुरानी परंपरा है. इस दिन लोग अपनी-अपनी छतों व मैदानों में डट जाते हैं और पतंग उड़ाते हैं. पतंगबाजों आपस में खूब पैंतरेबाजी दिखाते हैं और एक-दूसरे की पतंग काटकर आनंद का अनुभव करते हैं. हालांकि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने के पीछे स्वास्थ्य संबंधी कारणों को भी बताया गया है. माना जाता है कि इस दिन सूर्य से मिलने वाली धूप सेहत के लिए काफी लाभदायक होती है और शरीर के कई विकारों को दूर करती है. कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन अगर आप पतंग नहीं उड़ा पाते तो भी आपको धूप जरूर सेकनी चाहिए...क्योंकि इस सूरज की किरणें दवाई की काम करती है.
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भगवान राम ने भाइयों संग उड़ाई थी पतंग
पौराणिक मान्यता है कि त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने अपने तीनों भाइयों और हनुमान जी के साथ मिलकर मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाई थी. तभी से इस त्योहार पर पतंग उड़ाने की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है. मान्यता है कि श्रीराम ने जो पतंग उड़ाई थी वो उड़ते-उड़ते स्वर्ग पहुंच गई थी और स्वर्गलोक में इंद्र पुत्र जयंत की पत्नी को मिली थी. जयंत की पत्नी की यह पतंग काफी पसंद आई और उन्होंने उसको अपने पास रख लिया. श्रीराम ने हनुमान जी को पतंग लेने स्वर्ग भेजा तब जयंत की पत्नी ने श्रीराम के दर्शन की इच्छा प्रकट की.
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