Advertisment

Makar Sankranti 2020: बड़े-बुजुर्ग के सम्मान में गुर्जर समाज मनाता है ये अनोखी परंपरा

अगर आपके घर के बड़े-बुजुर्ग भी आपसे नाराज होकक बैठे है तो उन्हें मना लिजिए. वहीं बता दें कि गुर्जर समाज में तो बुजर्गो को मनाने का एक अलग परंपरा है, जिसे वो हर साल मकर संक्रांति के मौके पर मनाते हैं.

author-image
Vineeta Mandal
एडिट
New Update
Makar Sankranti 2020: बड़े-बुजुर्ग के सम्मान में गुर्जर समाज मनाता है ये अनोखी परंपरा

Senior Citizens( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))

Advertisment

कहते है बुजुर्ग और बच्चे एक समान होते है दोनों अगर किसी बात को लेकर गुस्सा हो जाएं तो उन्हें मनाना मुश्किल हो जाता है. तो अगर आपके घर के बड़े-बुजुर्ग भी आपसे नाराज होकक बैठे है तो उन्हें मना लिजिए. वहीं बता दें कि गुर्जर समाज में तो बुजर्गो को मनाने का एक अलग परंपरा है, जिसे वो हर साल मकर संक्रांति के मौके पर मनाते हैं. गुर्जर समाज मकर संक्रांति के दिन घरों में पूजा की जाती है और खाने में खीर, मीठी सामाग्री खासतौर से मनाया जाता है. लेकिन अब इनकी जगह मीठे पुए, कचौड़ी और और पकौड़े जैसी चीजों बनाएं जाते हैं.

वहीं इस अनोखे से परंपरा के बारें में गुर्जर समाज के लोगों ने जानकारी देते हुए बताया कि इस दिन घर की बहुएं अपने से बड़े दादा-दादी, सास-ससुर, बुआ फूफा और जेठ-जेठानी को मिठाई, कपड़े और पैसे देकर गीत गाते हुए उनका सम्मान करती हैं. इस समाज में मकर संक्रांति के दिन बुजुर्गों को रूठने की परंपरा भी है. इस दिन रूठे हुए बुजुर्गों को नए-नए कपड़े और उपहार देकर मनाया जाता है.

ये भी पढ़ें: शनिवार को पढ़ें शनि चालीसा, भगवान शनिदेव की मिलेगी विशेष कृपा

दुनिया भला आधुनिकरण की तरफ तेजी से बढ़ रहा है लेकिन आज भी कई समाज परंपराओं को अपने अंदर समेटे हुआ है. जैसे रूठे हुए बुजुर्गों और महिलाओं को संक्रांति के दिन मनाने की प्राचीन परंपरा गुर्जर समाज में आज भी कायम है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन सभी बुजुर्गों को आसानी से मनाया जा सकता है. रूठे हुए बुजुर्गों को नए-नए कपड़े और उपहार देकर मनाया जाता है.

त्योहार का पौराणिक महत्व

मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व भी है. मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. वहीं दूसरी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार किया था. इस जीत को मनाने के लिए मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है.

हर राज्य में मनाया जाता है ये पर्व

मकर संक्रांति साल का पहला त्योहार होता है. यह ज्यादातर हर राज्य में मनाया जाता है. हालांकि हर जगह अलग-अलग नाम होते हैं. तमिलनाडु में इसे 'पोंगल' के नाम से जानते हैं.

ये भी पढ़ें: साल 2020 में किसकी चमकेगी किस्मत और किसका रूठेगा भाग्य, यहां जानें

आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे सिर्फ संक्रांति कहते हैं. पंजाब और हरियाणा में एक दिन पहले इसे 'लोहड़ी' के नाम से मनाया जाता है. इस पर्व पर पतंगबाजी लोकप्रिय और परंपरागत खेल है.

वहीं यूपी और बिहार में इस पर्व को 'खिचड़ी' के नाम से जाना जाता है. इस दिन लोग उड़द और चावल की खिचड़ी बनाते हैं. तिल, कंबल और गौ का दान करते हैं.

स्नान-दान की परंपरा

मकर संक्रांति पर तिल दाने करने की परंपरा है. इस दिन कई जगहों पर मेला लगता है. लोग तड़के स्नान करते हैं और गंगा के किनारे साधु-संतों को दान-पुण्य करते हैं.

बता दें कि हर साल माघ महीने में 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाया जाता है. हिंदुओं के लिए यह बेहद खास त्योहार है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, यानि सूर्य उत्तरायण होता है.

Source : News Nation Bureau

Gujjar Community senior citizens Gurjjar Makar Sankranti 2020 elders
Advertisment
Advertisment
Advertisment