Advertisment

मकर संक्रांति 2018: जानें साल के पहले पर्व का पौराणिक महत्व

मकर संक्रांति साल का पहला त्योहार होता है। यह ज्यादातर हर राज्य में मनाया जाता है।

author-image
Sonam Kanojia
एडिट
New Update
मकर संक्रांति 2018: जानें साल के पहले पर्व का पौराणिक महत्व

मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है (फाइल फोटो)

Advertisment

हर साल माघ महीने में 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाया जाता है। हिंदुओं के लिए यह बेहद खास त्योहार है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, यानि सूर्य उत्तरायण होता है।

त्योहार का पौराणिक महत्व

मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व भी है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। वहीं दूसरी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार किया था। इस जीत को मनाने के लिए मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।

हर राज्य में मनाया जाता है ये पर्व

मकर संक्रांति साल का पहला त्योहार होता है। यह ज्यादातर हर राज्य में मनाया जाता है। हालांकि हर जगह अलग-अलग नाम होते हैं। तमिलनाडु में इसे 'पोंगल' के नाम से जानते हैं।

ये भी पढ़ें: सुधर जाइये! अगर आप घर से मोबाइल पर करते हैं ऑफिस का काम

आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे सिर्फ संक्रांति कहते हैं। पंजाब और हरियाणा में एक दिन पहले इसे 'लोहड़ी' के नाम से मनाया जाता है। इस पर्व पर पतंगबाजी लोकप्रिय और परंपरागत खेल है।

वहीं यूपी और बिहार में इस पर्व को 'खिचड़ी' के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग उड़द और चावल की खिचड़ी बनाते हैं। तिल, कंबल और गौ का दान करते हैं।

स्नान-दान की परंपरा

मकर संक्रांति पर तिल दाने करने की परंपरा है। इस दिन कई जगहों पर मेला लगता है। लोग तड़के स्नान करते हैं और गंगा के किनारे साधु-संतों को दान-पुण्य करते हैं।

ये भी पढ़ें: Bigg Boss 11: आज भी शिल्पा की केयर करते हैं उनके Ex-ब्वॉयफ्रेंड !

Source : News Nation Bureau

makar sankranti 2018
Advertisment
Advertisment
Advertisment