शिवलिंग पर खुदवा दिया ‘लाइलाह इलाल्लाह मोहम्मद उर रसूलल्लाह‘

गोरखपुर के इस इस शि‍वलिंग पर अरबी भाषा में ‘लाइलाह इलाल्लाह मोहम्मद उर रसूलल्लाह‘ लिखा है.

गोरखपुर के इस इस शि‍वलिंग पर अरबी भाषा में ‘लाइलाह इलाल्लाह मोहम्मद उर रसूलल्लाह‘ लिखा है.

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Drigraj Madheshia
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शिवलिंग पर खुदवा दिया ‘लाइलाह इलाल्लाह मोहम्मद उर रसूलल्लाह‘

भारत के मंदिरों के लुटेरे महमूद गजनवी की क्रूरता की दास्‍तां बयां कर रहा है गोरखपुर का एक शिवलिंग भी है जिसे वह तोड़ नहीं पाया तो उस पर कलमा खुदवा दिया. इस शि‍वलिंग पर अरबी भाषा में ‘लाइलाह इलाल्लाह मोहम्मद उर रसूलल्लाह‘ लिखा है. शिवलिंग पर कलमा खुदा होने के बावजूद लोगों की आस्‍था में कोई कमी नहीं आई.यह अनोखा शिवलिंग है उत्‍तर प्रदेश के सीएम सिटी गोरखपुर से 30 किलोमीटर दूर खजनी कस्‍बे के सरया तिवारी गांव में. सदियों पुराना नीलकंठ महादेव का शिव मंदिर है. मंदिर के पुजारी आचार्य अतुल त्रिपाठी बताते हैं कि हजारों साल पुराने इस शिव मंदिर में ऐसा शिवलिंग है , जिसकी मान्‍यता है कि यह शिवलिंग भू-गर्भ से स्वयं प्रकट हुआ था.

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जब महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया और पूरे देश के मंदिरों को लूटता और तबाह करता इस गांव में आया तो उसने और उसकी सेना ने इस प्राकृतिक शिवलिंग के बारे में सुनकर इस तरफ कूच की. उसने महादेव के इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया. इसके बाद शिवलिंग को उखाड़ने की कोशिश की, जिससे इसके नीचे छिपे खजाने को निकाल सकें. उसने मंदिर को ध्‍वस्‍त कर दिया, लेकिन शिवलिंग टस से मस नहीं हुआ. जब गजनवी थक-हार गया, तो उसने शिवलिंग पर कमला खुदवा दिया, जिससे हिन्‍दू इसकी पूजा नहीं कर सकें.

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महमूद गजनवी के आक्रमण के सैकड़ों साल बाद भी इस हिन्‍दू श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं और शिवलिंग पर जलाभि‍षेक करने के साथ दूध और चंदन आदि का लेप भी लगाते हैं. इस मंदिर पर छत नहीं लग पाती है. कई बार इस पर छत लगाने की कोशिश की गई. लेकिन, वो गिर गई. सावन मास में इस मंदिर का महत्‍व और भी बढ़ जाता है. यहां पर दूर-दूर से लोग दर्शन करने आत हैं और अपनी मनोकामना पूर्ति की मन्‍नतें भी मांगते हैं.

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इसके पास में ही एक तालाब भी है. इसकी खुदाई में यहां पर लगभग 10-10 फीट के नर कंकाल मिल चुके हैं, जो उस काल और आक्रांताओं की क्रूरता को दर्शाते हैं. देश में बगैर योनि का ये पहला शिवलिंग है. इस मं‍दिर के आसपास के टीलों की खुदाई में जो नर कंकालों के साथ कई भाले और दूसरे हथियार भी मिले थे, जिनकी लम्बाई 18 फीट तक थी.

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सरया तिवारी गांव के इस शिवलिंग को नीलकंठ महादेव के नाम से जाना जाता है. यहां के लोगों का मानना है कि इतना विशाल शिवलिंग पूरे भारत में सिर्फ यहीं पर है. शिव के इस दरबार में जो भी भक्‍त आकर श्रद्धा से बाबा से कामना करता है, उसे भगवान शिव जरूर पूरी करते हैं.

यह है कहानी

यहां के लोगों के अनुसार गजनवी ने इसके नीचे छिपे खजाने को निकालने के लिए जितनी गहराई तक जितना खुदवाता शिवलिंग उतना ही बढ़ता गया. कहते हैं कि इस दौरान शिवलिंग को नष्ट करने के लिए कई वार भी किए गए. हर वार पर रक्त की धारा निकल पड़ती थी. इसके बाद गजनबी के साथ आये मुस्लिम धर्मगुरुओं ने ही महमूद गजनबी को सलाह दी कि वह इस शिवलिंग का कुछ नहीं कर पायेगा और इसमें ईश्‍वर की शक्तियां विराजमान हैं. गजनवी ने यहां से कूच करने में ही अपनी भलाई समझा.

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