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Mahashivratri 2024: भोलेनाथ को क्यों अर्पित किया जाता है धतूरा? जानें पौराणिक कथा

Mahashivratri 2024: भगवान शिव के लिए धतूरे का महत्व विभिन्न पौराणिक कथाओं और तांत्रिक ग्रंथों में उल्लेखित है. धतूरे के पत्ते, फूल और बीज भगवान शिव को समर्पित होते हैं और उनके पूजा-अर्चना में प्रयोग किए जाते हैं.

Updated on: 04 Mar 2024, 06:27 PM

नई दिल्ली:

Mahashivratri 2024: भगवान शिव के लिए धतूरे का महत्व विभिन्न पौराणिक कथाओं और तांत्रिक ग्रंथों में उल्लेखित है. धतूरे के पत्ते, फूल और बीज भगवान शिव को समर्पित होते हैं और उनके पूजा-अर्चना में प्रयोग किए जाते हैं. धतूरे के पत्ते का सेवन भगवान शिव के ध्यान में लगे भक्तों द्वारा किया जाता है. इसे मान्यता है कि यह उनकी प्रतिष्ठा और प्रेम का प्रतीक है. भगवान शिव के अनुयायियों के लिए धतूरे के पत्ते का सेवन उनकी भक्ति को मजबूत करने में मदद करता है. धतूरे के फूल का उपयोग भगवान शिव के पूजा-अर्चना में होता है, विशेष रूप से शिवरात्रि के दिन. धतूरे के फूल का प्रयोग उनकी आराधना में किया जाता है और इसे उनका प्रिय फूल माना जाता है. धतूरे के बीजों का प्रयोग भगवान शिव की पूजा-अर्चना में किया जाता है और उनकी कृपा को प्राप्त करने के लिए भक्तों द्वारा प्रयास किया जाता है. धतूरे का सेवन भक्ति और विश्वास को मजबूत करने में मदद करता है और भक्तों को आध्यात्मिक सफलता की प्राप्ति में सहायक होता है.

भगवान शिव को धतूरा चढ़ाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं

1. समुद्र मंथन: समुद्र मंथन के दौरान, जब निकले विष को कोई भी ग्रहण करने को तैयार नहीं था, तब भगवान शिव ने उस विष को पी लिया. विष के प्रभाव से उनका गला नीला हो गया. धतूरा, जो एक जहरीला पौधा है, को भगवान शिव ने अपने गले पर धारण किया ताकि विष का प्रभाव कम हो सके.

2. भगवान शिव का तप: एक बार भगवान शिव ने कैलाश पर्वत पर कठोर तपस्या शुरू की.  तपस्या के दौरान, उनकी तपस्या में बाधा डालने के लिए देवताओं ने कामदेव को भेजा. कामदेव ने भगवान शिव पर मोहक बाण चलाया, लेकिन भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया. कहा जाता है कि कामदेव की पत्नी रति ने भगवान शिव से क्षमा मांगी और उनसे कामदेव को पुनर्जीवित करने का अनुरोध किया. भगवान शिव ने रति की प्रार्थना स्वीकार कर ली और कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया. इस घटना के बाद, भगवान शिव ने धतूरा को अपने सिर पर धारण करना शुरू किया, जो कामदेव का प्रतीक है. 

3. भगवान शिव का वेश: भगवान शिव अक्सर भिक्षुओं के वेश में घूमते हैं. कहा जाता है कि धतूरा एक ऐसा पौधा है जो भिक्षुओं द्वारा उपयोग किया जाता था. इसलिए, भगवान शिव को धतूरा चढ़ाने से उनका भिक्षु वेश दर्शाया जाता है.

4. धतूरा का औषधीय गुण: धतूरा एक जहरीला पौधा है, लेकिन इसमें कई औषधीय गुण भी हैं. यह दर्द निवारक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुणों से युक्त होता है. कहा जाता है कि भगवान शिव को धतूरा चढ़ाने से इन गुणों का सम्मान किया जाता है. यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव को धतूरा चढ़ाने से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से सुरक्षा मिलती है.  धतूरा एक जहरीला पौधा है और इसका सेवन बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)