Mahashivratri 2021: कब पड़ेगी महाशिवरात्रि? भगवान शिव के इस खास दिन का जानें महत्‍व और पूजाविधि 

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है और हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है. हालांकि दक्षिण भारतीय पंचांग (अमावस्यान्त पंचांग) के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है.

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है और हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है. हालांकि दक्षिण भारतीय पंचांग (अमावस्यान्त पंचांग) के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है.

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Sunil Mishra
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कब पड़ेगी महाशिवरात्रि? भगवान शिव के इस खास दिन का जानें महत्‍व( Photo Credit : File Photo)

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है और हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है. हालांकि दक्षिण भारतीय पंचांग (अमावस्यान्त पंचांग) के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. यह अलग बात है कि ये दोनों तिथियां एक ही दिन पड़ती हैं. महाशिवरात्रि इस बार 11 मार्च 2021 (गुरुवार) को मनाया जाएगा. इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. कहा जाता है कि इस दिन विधि-विधान से व्रत रखने वालों को धन, सौभाग्य, समृद्धि, संतान और आरोग्य की प्राप्ति होती है.

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इस साल महाशिवरात्रि (2021) का शुभ मुहूर्त
पूजा मुहूर्त :24:06:41 से 24:55:14 तक.
महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त :06:36:06 से 15:04:32 तक.

महाशिवरात्रि व्रत पूजा विधि
मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि के साथ शिवलिंग पर चढ़ाएं. शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करें. इस दिन रात्रि जागरण का भी विधान है. निशील काल में महाशिवरात्रि की पूजा को उत्तम माना गया है. भक्त सुविधानुसार भी पूजा कर सकते हैं.

महाशिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. एक प्रचलित कथा के अनुसार, मां पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए कड़ी तपस्‍या की थी. तपस्‍या के फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसी कारण महाशिवरात्रि को बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र दिन माना जाता है. 

वहीं गरुड़ पुराण की एक कथा के अनुसार, एक निषादराज महाशिवरात्रि के दिन अपने कुत्ते के साथ शिकार करने गया था पर उसे शिकार नहीं मिला तो थककर भूख-प्यास से परेशान हो एक तालाब के किनारे गया. वहां बिल्व वृक्ष (बेल का पेड़) के नीचे शिवलिंग था. उसने कुछ बिल्व-पत्र तोड़े. उनमें से कुछ बिल्‍व पत्र शिवलिंग पर भी गिर गए. ऐसा करते समय उसका एक तीर नीचे गिर गया. उसे उठाने के लिए वह शिवलिंग के सामने झुका. इस तरह उसने अनजाने में ही शिव-पूजन की पूरी प्रक्रिया पूरी कर ली. मृत्यु के बाद यमदूत उसे लेने आए, तो भगवान शिव के गणों ने उसकी रक्षा की और यमदूतों को भगा दिया. माना जाता है कि भगवान शिव अनजाने में अपने भक्त को इतना फल देते हैं तो विधि-विधान से पूजा करने वालों को किसी प्रकार की कमी नहीं होने देते. 

Source : News Nation Bureau

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