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Mahashivratri 2021: महाशिवरात्रि पर कैसे करें भगवान शिव का जलाभिषेक, राशि अनुसार करें स्तुति

Mahashivratri 2021: पौराणिक कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन सृष्टि का आरंभ अग्निलिंग के उदय से हुआ है और इसी दिन भगवान शिव का विवाह भी मां पार्वती के साथ हुआ था.

Updated on: 11 Mar 2021, 07:33 AM

highlights

  • महाशिवरात्रि के दिन देशभर में अलग-अलग जगहों पर स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों की पूजा का विशेष महत्व है
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन सृष्टि का आरंभ अग्निलिंग के उदय से हुआ है

नई दिल्ली:

Mahashivratri 2021: भगवान शिव को त्रिदेवों में स्थान प्राप्त है. महाशिवरात्रि इस बार 11 मार्च 2021 को है. ऐसे में शिवरात्रि पर महादेव की पूजा का विधान बहुत से लोग जानते हैं वहीं कुछ लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. भगवान शिव के बारे में मान्यता है कि वे जहां एक ओर आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं, वहीं दूसरी ओर उनका रौद्र रूप किसी से छिपा नहीं है. महाशिवरात्रि के दिन देशभर में अलग-अलग जगहों पर स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों की पूजा का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बेल के पत्तों से भगवान महाकाल की पूजा अर्चना करता है. साथ ही रात को जागकर भगवान शिव के मंत्रों का जप करता है, उस व्यक्ति को भगवान शिव आनंद और मोक्ष प्रदान करते हैं. मान्यता है कि महाशिवरात्रि से ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ है. 

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पौराणिक कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन सृष्टि का आरंभ अग्निलिंग के उदय से हुआ है और इसी दिन भगवान शिव का विवाह भी मां पार्वती के साथ हुआ था. बता दें कि सालभर में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है. शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि पर भगवान महाकाल का जलाभिषेक करने से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा भगवान शिव का आर्शीवाद भी बना रहता है.

महाशिवरात्रि 2021 में शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का शुभ मुहूर्त

भगवान शिव के जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त
महानिशीथ काल- 11 मार्च 2021 को रात 11.44 बजे से रात 12.33 बजे तक
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 11 मार्च को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट से चतुर्दशी तिथि समाप्त- 12 मार्च दोपहर 3 बजकर 3 मिनट तक 

शिवलिंग पर जलाभिषेक करने की विधि और सामाग्री
सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल और उसके बाद पंचामृत  चढ़ाना चाहिए. इसके बाद शक्कर, दूध, दही, शहद और घी चढ़ा दें. इसके बाद गंगाजल से स्नान करा कराया जाना चाहिए. तत्पश्चात शिवलिंग में चंदन का लेप, कमलगट्टा, पान, गुलाब, कनेर, श्वेतार्क, सफेद आखा, धतूरा, नील कमल, बेलपत्र आदि चढ़ा दें. जलाभिषेक करने के लिए दूध, दही, शहद, घी, चंदन, शक्कर, श्वेतार्क, सफेद आखा, धतूरा, कमलगट्टा, पंचामृत, गुलाब, गंगाजल, बेलपत्र, कनेर, नील कमल, पान, गुड़, दीपक, अगरबत्ती आदि की जरूरत होती है. जलाभिषेक करते समय 'ऊं नम: शिवाय' का जाप करते रहना चाहिए.

महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकंयजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात्।। 

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विभिन्न राशि वाले महाशिवरात्रि के दिन क्या करें

  • मेष राशि-गुलाल से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए, शिवरात्रि के दिन ॐ ममलेश्वाराय नमः मंत्र का जाप करें
  • वृषभ राशि- दूध से शिवजी का अभिषेक करने के साथ ॐ नागेश्वराय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए
  • मिथुन राशि-  ॐ भुतेश्वराय नमः मंत्र का जाप और गन्ने के रस से शिवजी का अभिषेक करना चाहिए
  • कर्क राशि- शिवजी के द्वादश नाम का स्मरण और पंचामृत से शिवजी का अभिषेक करना चाहिए
  • सिंह राशि- नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप और शहद से शिवजी का अभिषेक करना चाहिए
  • कन्या राशि- शिव चालीसा का पाठ और शुद्ध जल से शिवजी का अभिषेक करना चाहिए
  • तुला राशि- शिवाष्टक का पाठ और दही से शिवजी का अभिषेक करना चाहिए
  • वृश्चिक राशि- ॐ अन्गारेश्वराय नमः मंत्र का जाप और दूध और घी से शिवजी का अभिषेक करना चाहिए
  • धनु राशि- शिवजी का दूध से अभिषेक और ॐ समेश्वरायनमः मंत्र का जाप करना चाहिए
  • मकर राशि- अनार के रस से शिवजी का अभिषेक और शिव सहस्त्रनाम का उच्चारण करना चाहिए
  • कुंभ राशि- दूध, दही, शक्कर, घी, शहद सभी से शिवजी का अभिषेक और ॐ शिवाय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए
  • मीन राशि- मौसम के फल से शिवजी का अभिषेक और ॐ भामेश्वराय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए