Mahashivratri 2020: जानें कैसे हुआ था शिव-गौरी का विवाह, क्या है शिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है. हिंदु धर्म के अनुसार, हर वर्ष फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अव
नई दिल्ली:
देवों के देव महादेव के बारे में कहा जाता है कि वह जिस पर भी प्रसन्न हो जाते हैं, उसकी झोली खुशियों से भर देते हैं. कहते हैं कि महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव-पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन शिव-पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था और इसी दिन प्रथम शिवलिंग भी प्रकट हुआ था. इसबार 21 फरवरी को देशभर में महाशिवरात्री का पर्व मनाया जाएगा. शिवरात्रि का महापर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. वहीं इस बार सोमवार को शिवरात्री होने से विशेष संयोग बन रहे है. तो इसबार शिवभक्त अपनी भक्ति से भोले को प्रसन्न कर सभी मनोकामना पूर्ण कर सकते है.
और पढ़ें: 59 साल बाद महाशिवरात्रि पर बना रहा है विशेष संयोग, 5 राशि वाले होंगे मालामाल
शिव-गौरी विवाह कथा-
वैसे तो शिवभक्त महादेव के भोलेपन, गुस्से और उनका पत्नी पार्वती के प्रति प्रेम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव और पार्वती की शादी बड़े ही भव्य तरीके से हुई थी. विवाह में देवताओं-असुरों से लेकर जानवर, भूत-पिशाच तक शामिल हुए थे. ऐसे तो देवताओं और असुरों के बीच हमेशा झगड़ा होता रहता था, लेकिन शादी में सभी उत्साह के साथ शरीक हुए.
पौराणिक मान्यता के अनुसार, शिव-पार्वती के विवाह से पहले वर-वधू की वंशावली घोषित होनी थी. वधू पक्ष की ओर से तो वंशावली घोषित कर दी गई, लेकिन वर पक्ष यानी शिव जी की तरफ से कोई भी रिश्तेदार मौजूद नहीं था. ऐसे में पार्वती के घरवालों को हैरानी और चिंता हुई कि वो ऐसे घर में अपनी बेटी भेज रहे हैं, जहां वर के माता-पिता, रिश्तेदार या भाई-बहन ही नहीं हैं.
पार्वती के पिता पर्वत राज ने शिव से अनुरोध किया कि वो अपने वंश के बारे में कुछ बताएं, लेकिन तब शिव ने पार्वती समेत सभी के सामने मौन धारण कर लिया. इसके बाद नारद मुनि ने सभी को बताया कि उनके माता-पिता या कोई वंश नहीं है क्योंकि महादेव स्वयंभू हैं. इन्होंने खुद अपनी रचना की है.
महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है. हिंदु धर्म के अनुसार, हर वर्ष फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था.
शिवरात्रि पूजा मुहूर्त
बता दें महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी शनिवार शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा.
ये भी पढ़ें: आखिर भगवान शिव शरीर पर क्यों लगाते हैं भस्म, जानें इसका महत्व और पूजा-विधि
पूजा करने की विधि-सामाग्री
इस खास दिन पर सबसे पहले सुबह उठकर स्नान कर भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं. उसके बाद भोलेनाथ को एक लोटे में जल और केसर डालकर 8 बार चढ़ाएं. पूरा दिन और रात घर से मंदिर में अखंड जोत जलाएं. भोलेनाथ को चंदन का तिलक लगाएं. तीन बेलपत्र, भांग धतूरे, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिठाई, मीठा पान, इत्र और दक्षिणा चढ़ाएं. भोलेनाथ को केसर से बनी खीर का भोग लगाएं और प्रसाद बांटें.
मंत्र
पूजा में सभी वस्तुएं चढ़ाते हुए ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Arti Singh Wedding: दुल्हन आरती को लेने बारात लेकर निकले दीपक...रॉयल अवतार में दिखे कृष्णा-कश्मीरा
-
Salman Khan Firing: सलमान खान के घर फायरिंग के लिए पंजाब से सप्लाई हुए थे हथियार, पकड़ में आए लॉरेंस बिश्नोई के गुर्गे
-
Riddhima Kapoor: पापा ऋषि कपूर की आखिरी कॉल नहीं उठा पाईं रिद्धिमा कपूर, आज तक है अफसोस
धर्म-कर्म
-
Maa Lakshmi Puja For Promotion: अटक गया है प्रमोशन? आज से ऐसे शुरू करें मां लक्ष्मी की पूजा
-
Guru Gochar 2024: 1 मई के बाद इन 4 राशियों की चमकेगी किस्मत, पैसों से बृहस्पति देव भर देंगे इनकी झोली
-
Mulank 8 Numerology 2024: क्या आपका मूलांक 8 है? जानें मई के महीने में कैसा रहेगा आपका करियर
-
Hinduism Future: पूरी दुनिया पर लहरायगा हिंदू धर्म का पताका, क्या है सनातन धर्म की भविष्यवाणी