Mahalaxmi Vrat 2020: आज से शुरू हो रहा महालक्ष्मी व्रत, जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

आज से हिंदु धर्म के लोगों के लिए महालक्ष्मी व्रत शुरू हो रहा है. यह 16 दिनों तक चलता है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को महालक्ष्मी व्रत होता है. आज से ही यानि 25 अगस्त से महालक्ष्मी व्रत शुरू हो रहा है.

आज से हिंदु धर्म के लोगों के लिए महालक्ष्मी व्रत शुरू हो रहा है. यह 16 दिनों तक चलता है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को महालक्ष्मी व्रत होता है. आज से ही यानि 25 अगस्त से महालक्ष्मी व्रत शुरू हो रहा है.

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Sushil Kumar
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प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

Mahalaxmi Vrat 2020: आज से हिंदु धर्म के लोगों के लिए महालक्ष्मी व्रत शुरू हो रहा है. यह 16 दिनों तक चलता है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को महालक्ष्मी व्रत होता है. आज से ही यानि 25 अगस्त से महालक्ष्मी व्रत शुरू हो रहा है. आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को इसका समापन होता है. हिंदू धर्म में इस व्रत का खास महत्व है. इस व्रत को करने से लोगों को सुख, समृद्धि, शांति, संपन्नता की प्राप्ति होती है. यह महाव्रत 25 अगस्त से शुरू होकर 10 सितंबर तक चलेगा. अगर ये व्रत करने की सोच रहे हैं तो सबसे पहले इनकी पूजन विधि और शुभ मुहूर्त जान लें.

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माता लक्ष्मी की मिट्टी की मूर्ति पूजा स्थान पर स्थापित करें

नित्य कर्म और स्नान कर माता लक्ष्मी की मिट्टी की मूर्ति पूजा स्थान पर स्थापित करें. मां लक्ष्मी को लाल, गुलाबी या फिर पीले रंग का रेशमी वस्त्र पहनाएं. उनको चंदन, लाल सूत, सुपारी, पत्र, पुष्प माला, अक्षत, दूर्वा, नारियल, फल मिठाई आदि अर्पित करें. पूजा में महालक्ष्मी को सफेद कमल या कोई भी कमल का पुष्प, दूर्वा और कमलगट्टा भी चढ़ाएं. इसके बाद माता लक्ष्मी को भोग लगाएं. महालक्ष्मी की आरती करें.

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धन, संपदा, वैभव और ऐश्वर्य को स्थिरता प्राप्त होती है

लक्ष्मी महामंत्र का जाप करने से धन, संपदा, वैभव और ऐश्वर्य को स्थिरता प्राप्त होती है. कहा जाता है कि लक्ष्मी चंचला होती हैं, इसलिए लक्ष्मी महामंत्र का जाप कल्याणकारी होता है. महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ करते समय अपने हाथ में हल्‍दी से रंगे 16 गांठ का रक्षासूत्र बांधते हैं. 16वें दिन की पूजा के बाद इसे विसर्जित कर दें. 16वें दिन महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन होता है. उद्यापन के समय 16 वस्तुओं का दान शुभ होता है. जिसमें चुनरी, बिंदी, शीशा, सिंदूर, कंघा, रिबन, नथ, रंग, फल, बिछिया, मिठाई, रुमाल, मेवा, लौंग, इलायची और पुए होते हैं.

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