Mahakumbh 2025 Panchkoshi Parikrama: सनातन धर्म में महाकुंभ के दौरान संगम में स्नान का महत्व तो अद्वितीय है लेकिन इसके साथ ही पंचकोसी परिक्रमा का भी विशेष धार्मिक महत्व है. पंचकोसी परिक्रमा प्रयागराज के प्रमुख तीर्थ स्थानों को जोड़ने वाली एक पवित्र यात्रा है जिसमें श्रद्धालु 25-30 किमी की परिधि में स्थित धार्मिक स्थलों की यात्रा करते हैं.
इस पंचकोसी परिक्रमा का उल्लेख पुराणों और शास्त्रों में मिलता है. ऐसा माना जाता है कि इस परिक्रमा से व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति पाता है. परिक्रमा के दौरान तीर्थयात्री पांच प्रमुख स्थानों पर रुकते हैं, जिनमें त्रिवेणी संगम, भारद्वाज आश्रम, अक्षयवट, हनुमान मंदिर और अन्य पवित्र स्थल शामिल हैं.
महाकुंभ के दौरान पंचकोसी परिक्रमा का महत्व
महाकुंभ के समय पंचकोसी परिक्रमा का महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि इस समय संगम क्षेत्र को विशेष ऊर्जा और आध्यात्मिकता का केंद्र माना जाता है. परिक्रमा के दौरान श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती (अदृश्य हो चुकी) के संगम में स्नान करते हैं और देवताओं के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं. मान्यता है कि पंचकोसी परिक्रमा करने से हजारों यज्ञों के बराबर पुण्य फल मिलता है. परिक्रमा करते समय किए गए मंत्रोच्चार और ध्यान से आत्मा को शांति और शुद्धता मिलती है. ऐसी धार्मिक मान्यता भी है कि परिक्रमा के दौरान तीर्थ स्थलों पर रुकने और साधना करने से व्यक्ति सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है.
महाकुंभ स्नान और पंचकोसी परिक्रमा का यह अद्वितीय संगम भक्तों को अध्यात्म और आस्था से ओतप्रोत कर देता है. तो आप अगर प्रयागराज जा रहे हैं तो संगम में डुबकी लगाने के बाद ये परिक्रमा करना न भूलें. इस बार जो महाकुंभ का संयोग बना है ये 144 वर्ष बाद आया है. ऐसे में अगर आप इसी जन्म में कई जन्मों के पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो ये कार्य भी कर सकते हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि संगम में डुबकी लगाने के बाद पंचकोसी परिक्रमा करने से न सिर्फ उस व्यक्ति बल्कि उसके परिवार और पितरों को भी इसका पुण्य फल प्राप्त होता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)