Mahakumbh 2025: Apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी ने निरंजनी अखाड़े में किया दर्शन, जानें यात्रा का खास मकसद

Mahakumbh 2025: महाकुंभ की भव्य शुरूआत आज से हो चुकी है. देश-विदेश से यहां करोड़ों लोग आ रहे हैं. दुनिया की सबसे अमीर महिलाओं में से एक लॉरेन, जो Apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी (विधवा) हैं वो भी इस बार यहां सनातन धर्म को करीब से समझने पहुंची हैं.

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Inna Khosla
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Apple founder Steve Jobs wife Laurene Powell Jobs visited Niranjani Akhara

Laurene Powell Jobs visited Niranjani Akhara Photograph: (News Nation)

Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 के दौरान प्रयागराज में एक अनोखी घटना तब देखने को मिली जब Apple के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स को निरंजनी अखाड़े के शिविर में देखा गया. लॉरेन की इस यात्रा ने लोगों के बीच उत्सुकता बढ़ा दी है. उनकी भारत यात्रा का उद्देश्य और स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज से मुलाकात के पीछे के कारणों पर चर्चा करना स्वाभाविक है.

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लॉरेन पॉवेल का निरंजनी अखाड़े में आने का कारण 

लॉरेन पॉवेल (Laurene Powell Jobs) स्टीव जॉब्स की तरह ही आध्यात्मिकता में गहरी रुचि रखती हैं. स्टीव जॉब्स स्वयं भारत की आध्यात्मिकता और सनातन परंपराओं से प्रभावित थे. उनकी पत्नी लॉरेन संभवतः भारत की इस प्राचीन संस्कृति को नजदीक से अनुभव करने और आत्मिक शांति प्राप्त करने के लिए यहां आई हैं. 

स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज निरंजनी अखाड़े के प्रमुख हैं और वे गहन आध्यात्मिक ज्ञान और समाज सेवा के लिए जाने जाते हैं. माना जा रहा है कि लॉरेन ने उनके साथ ध्यान, योग, और जीवन के गहरे अर्थ पर चर्चा की. लॉरेन पॉवेल, पर्यावरण और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहती हैं. महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े का शिविर पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के लिए कई संदेश देता है. संभवतः उन्होंने इन अभियानों को समझने और उनसे जुड़ने के लिए इस यात्रा का चयन किया.

स्टीव जॉब्स ने अपनी आत्मिक यात्रा के दौरान भारत में काफी समय बिताया था, जो उनके जीवन को प्रभावित करने वाले प्रमुख अनुभवों में से एक थी. लॉरेन पॉवेल शायद उनके भारतीय अनुभवों को महसूस करने और उस संस्कृति को समझने की कोशिश कर रही हैं जो स्टीव को इतनी प्रिय थी. लॉरेन (Laurene Powell Jobs) की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारतीय आध्यात्मिकता को समझना और उसे अपने जीवन में समाहित करना हो सकता है. भारत की प्राचीन संस्कृति और कुंभ मेले (kumbh mele) की परंपराएं उन्हें आकर्षित कर सकती हैं. महाकुंभ का विशाल आयोजन और इसके आध्यात्मिक पक्ष का अनुभव करना इस यात्रा का अहम हिस्सा हो सकता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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