उज्जैन के राजा महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए राजसी ठाठ-बाट के साथ सोमवार को नगर भ्रमण पर निकले. उनकी एक झलक पाने के लिए उज्जैन की सड़कों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. चांदी की पालकी में बैठे महाकाल की सवारी के आगे घोड़ा , बैंड, पुलिस के जवानों की टुकड़ी और भजन मंडलियां चल रहीं थीं.
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कार्तिक मास के सोमवार को उज्जैन में बाबा महाकाल की पहली सवारी निकाली गई. भगवान महाकाल राजसी ठाठ-बाट के साथ नगर भ्रमण पर निकले. बाबा की एक झलक पाने के लिए लोगों का हुजूम सड़कों पर उमड़ पड़ा. उज्जैन में सावन माह की तरह ही कार्तिक और अगहन माह में भी महाकाल की सवारी निकालने की परंपरा है.
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शाम को पूजन के बाद राजा महाकाल को चाँदी की पालकी में बैठाकर मंदिर से बाहर लाया गया. महाकालेश्वर मंदिर से शाम 4 बजे शुरू हुई बाबा की सवारी नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई शिप्रा नदी पर पहुंची. मान्यता है भगवान महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं.
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Source : ASHISH SISODIA