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Magh Purnima 2023: माघ पूर्णिमा के दिन बनेगा दुर्लभ महासंयोग, ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा

हिंदू पंचांग के अनुसार दिनांक 05 फरवरी 2023 को माघ मास की पूर्णमा तिथि को माघ पूर्णिमा है.

Updated on: 31 Jan 2023, 04:18 PM

नई दिल्ली :

Magh Purnima 2023 : हिंदू पंचांग के अनुसार दिनांक 05 फरवरी 2023 को माघ मास की पूर्णमा तिथि को माघ पूर्णिमा है. माघ पूर्णिमा का बेहद खास महत्व है. शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा का अधिकार होता है. चंद्रमा मन को शांत रखने का काम करता है. वहीं अगर पूर्णिमा तिथि की बात करें, तो 12 माह में 12 पूर्णिमा का अपना एक अलग महत्व है, लेकिन माघ पूर्णिमा इसलिए खास है, क्योंकि जिस दिन कर्क राशि में चंद्रमा और मकर राशि में सूर्य प्रवेश करते हैं, तब उस दिन माघ पूर्णिमा का योग बनता है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त कब है, इस दिन कौन सा दुर्लभ महासंयोग बन रहा है, इसके साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की किस विधि से पूजा करना शुभ माना जाता है. 

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माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त कब है?
इस दिन चार महाशुभ योग बन रहा है. 
1.अभिजित मुहूर्त जो दिनांक 05 फरवरी 2023 को दोपहर 12:03 मिनट से लेकर 12:57 मिनट तक रहेगा. 
2.विजय मुहूर्त जो दिनांक 05 फरवरी 2023 को दोपहर 02:25 मिनट से लेकर 03:08 मिनट तक रहेगा. 
3.गोधूलि मुहूर्त जो दिनांक 05 फरवरी 2023 को सुबह 06:01 मिनट से लेकर 06:27 मिनट तक रहेगा. 
4.सर्वार्थ सिद्धि योग जो दिनांक 05 फरवरी 2023 को सुबह 07:07 मिनट से लेकर 12:13 तक रहेगा. 

माघ पूर्णिमा के दिन ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा 
सबसे पहले माघ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें, उसक बाद सूर्य देवता को जल दें और सूर्य मंत्र का जाप जरूर करें, साथ ही सूर्य देवता को अर्घ्य देने के समय जल में फूल, लाल चंदन, गेंहू और काले तिल डालें. इसके बाद घर के पूजा स्थल में घी का दीपक जलाएं और चार लौंग भगवान विष्णु को अर्पित करें. 

भगवान विष्णु के इस मंत्र का करें जाप 

1.शांताकारम भुजङ्गशयनम पद्मनाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।
ॐ नमोः नारायणाय नमः। ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः।

2.दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

3.ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

4.ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।

5.ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।
ॐ गुं गुरवे नम:।