इन मंत्रों के साथ करें भगवान शनिदेव की पूजा, दूर हो जाएंगे सारे कष्ट
शनिदेव जितने कठोर भगवान के तौर पर देखें जाते हैं उतने ही दयालु भी हैं. वो अपने सच्चे भक्त की सारी मन्नतें पूरी करते है और उन्हें जीवन के हर कष्ट से दूर रखते हैं. तो ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर शनि देव की पूजा करते समय किन बातों का खास ख्याल
नई दिल्ली:
भगवान शनिदेव न्याय के देवता कहे जाते हैं, वो इंसान हो या भगवान किसी को भी दंड देने से पीछे नहीं हटते हैं. यही वजह है की शनिदेव से हर कोई डर कर रहता है, उनकी नजर जिस पर पड़ती वो मालामाल, सुखी हो जाता है या फिर कंगाल हो. शनि की कृपा पूरी तरह उनकी दृष्टि पर निर्भर रहती है, जो मनुष्य के कर्म अनुसार पड़ती है. न्याय के देवता शनिदेव जिस पर प्रसन्न हो जाए उसकी तो चांदी ही चांदी है.
शनिदेव की कृपा से ही मनुष्य के जीवन में खुशियां बरसती हैं और यदि शनि आप पर विपरीत प्रभाव देने लगे तो फिर आपको कोई भी नहीं बचा सकता क्योंकि शनि ज्योतिष में एक ऐसा ग्रह है जो सबसे अलग इसलिए माना जाता है क्योंकि शनि के न्याय के तराजू पर कोई छोटा बड़ा नहीं होता, न ही कोई दोस्त होता है न ही कोई दुश्मन. शनिग्रह का हमारे जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है.
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हिन्दू मान्यता है कि शनि की अगर शुभ दृष्टि हो तो रंक भी राजा बन जाता है. देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध, विद्याधर और नाग ये सब इसकी अशुभ दृष्टि पड़ने पर नष्ट हो जाते हैं. कहते है कि शनि जिस अवस्था में होगा, उसके अनुरूप फल प्रदान करेगा इसिलिए भक्त शनि के दर जाकर उन्हे प्रसन्न करने की तमाम कोशिशें करते है.
शनिदेव जितने कठोर भगवान के तौर पर देखें जाते हैं उतने ही दयालु भी हैं. वो अपने सच्चे भक्त की सारी मन्नतें पूरी करते है और उन्हें जीवन के हर कष्ट से दूर रखते हैं. तो ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर शनि देव की पूजा करते समय किन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए.
शनि मंत्र-
1. ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
2. ॐ शन्नो देविर्भिष्ठयः आपो भवन्तु पीतये। सय्योंरभीस्रवन्तुनः
3. ॐ शं शनैश्चराय नमः
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शनिदेव की पूजा-विधि-
- शनिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करें.
- लोहे से बनी शनि देवता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं.
- काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र और तेल से शनिदेव की पूजा करें. पूजन के दौरान शनि के दस नाम कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर का उच्चाण करें.
- पूजन के बाद पीपल के वृक्ष की सात परिक्रमा करें और अंत में शनिदेव के मंत्रों का जाप करें. कहते हैं लगातार सात शनिवार ऐसा करने से शनि दोषों से छुटकारा पाया जा सकता है.
- पीपल के वृक्ष की जड़ में जल डालें,उसके बाद वृक्ष के पास सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
- शनिवार के दिन पहले शिव जी की या कृष्ण जी की उपासना करें.
- किसी गरीब व्यक्ति को एक वेला का भोजन जरूर कराएं.
- सायंकाल (शाम) के समय शनि देव के मन्त्रों का जाप करें.
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इन बातों का रखें ध्यान-
. अपना आचरण और व्यवहार अच्छा रखना चाहिए
. शनि देव के सामने तेल जलाएं लेकिन इसकी बर्बाद नहीं करनी चाहिए
. झूठ बोलने और गलत काम करने से बचें
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