भारत में आखिरी सूर्य ग्रहण का नहीं पड़ेगा असर, इन सात देशों में होंगे दर्शन
सूर्य ग्रहण भारतीय समय के मुताबिक सुबह 11 बजे शुरू होगा. ग्रहण मध्य दोपहर 1.04 बजे रहेगा और इसकी पूर्णता की अवधि अपराहन 3.07 बजे तक रहने वाली है.
highlights
- सूरज की रोशनी पूरी तरह से रुक जाती है तो उसे पूर्ण ग्रहण कहते हैं
- सूर्य ग्रहण को अंटार्कटिका व दक्षिण महासागर से देखा जा सकता है
नई दिल्ली:
Solar Eclipse 2021:इस साल का आखिरी सूर्यग्रहण चार दिसंबर को पड़ने वाला है.यह ग्रहण दिखाई नहीं देने वाला है.इस कारण समूचे भारत पर ग्रहण का सूतक नहीं रहेगा.ग्रहण का धार्मिक महत्व भी नहीं रहेगा.सूर्य ग्रहण को अंटार्कटिका व दक्षिण महासागर से देखा जा सकता है.अफ्रीकी महाद्वीप की कुछ जगहों से आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देने वाला है. दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन व जार्ज, नामिबिया के स्वाकोपमुण्ड व आस्ट्रेलिया के मेलबोर्न और होबार्ट से आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा.
विशेषज्ञों के अनुसार सूर्य ग्रहण भारतीय समय के मुताबिक सुबह 11 बजे शुरू होगा. ग्रहण मध्य दोपहर 1.04 बजे रहेगा और इसकी पूर्णता की अवधि अपराहन 3.07 बजे तक रहने वाली है.ग्रहण की पूर्णता एक मिनट 57 सेकंड की अवधि के दौरान सूर्य पूरी तरह चंद्रमा की छाया में छिपा रहेगा.
सौर मंडल का ग्रह पृथ्वी सूरज की और चांद पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं.इस प्रक्रिया में कभी-कभी सूरज व धरती के बीच चंद्रमा आ जाता है.इससे सूरज की रोशनी पृथ्वी पर आने से रुक जाती है.इस अवधि में धरती पर अंधेरा छा जाता है.इस घटना को सूर्यग्रहण का नाम दिया जाता है.यह घटना अमावस्या वाले दिन होती है.चांद जब सूरज के कुछ हिस्से को कवर कर लेता है, उसे खंड ग्रहण भी कहा जाता है और जब सूरज की रोशनी पूरी तरह से रुक जाती है तो उसे पूर्ण ग्रहण कहते हैं.
दान-पुण्य का विशेष महत्व
वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डा.नवीन चंद्र जोशी के अनुसार हर माह आने वाली अमावस्या तिथि को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.गरुड़ व ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार अमावस्या तिथि पर पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है.पितृदोष से मुक्ति को लेकर पितृ तर्पण, स्नान-दान इत्यादि करना बेहद आवश्यक है.ऐसा माना जाता है कि इससे पुण्य फल मिलता है.
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