Advertisment

9 सितंबर को है कुश ग्रहणी अमावस्या, ऐसे करें पूजा पितरों की आत्मा को मिलेगी शांति

9 सितंबर यानी रविवार को कुश ग्रहणी अमावस्या है। कृष्ण पक्ष की अमावस्या को इसे मनाया जाता है। इसे देव पितृ कार्य अमावस्या और पिठोरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।

author-image
nitu pandey
एडिट
New Update
9 सितंबर को है कुश ग्रहणी अमावस्या, ऐसे करें पूजा पितरों की आत्मा को मिलेगी शांति

कुश ग्रहणी अमावस्या

Advertisment

9 सितंबर यानी रविवार को कुश ग्रहणी अमावस्या है। कृष्ण पक्ष की अमावस्या को इसे मनाया जाता है। इसे देव पितृ कार्य अमावस्या और पिठोरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन व्रत और अन्य पूजन कार्य करने से पितरों की आत्मा को शान्ति प्राप्त होती है। अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव होता है, इसीलिए इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण और दान-पुण्य का अत्याधिक महत्व होता है।

और पढ़ें : Sri Krishna Janmashtami 2018: जानें बिना शिखर वाला गोविंद देव जी मंदिर का इतिहास

10 प्रकार के होते हैं कुश
इस दिन अलग-अलग तरह के कुश से पूजा करने का विधान है। शास्त्रों में 10 प्रकार कुशों का उल्लेख मिलता है। कुश को उखाड़ने का पारंपरिक तरीका भी होता है। सूर्योदय के समय घास को केवल दाहिने हाथ से उखड़ कर ही एकत्रित करना चाहिए। कुश तोड़ते समय 'हूं फट्' मंत्र का जाप करना चाहिए।

ऐसे करें पूजा
इस दिन पूर्व या उत्तर मुक्त बैठ कर ही पूजा करें। इस दिन का महत्व बताते हुए कर्इ पुराणों में कहा गया है कि रूद्र अवतार माने जाने वाले हनुमान जी कुश का बना हुआ जनेऊ धारण करते हैं इसीलिए कहा जाता है कांधे मूंज जनेऊ साजे। साथ ही इस दिन को पिथौरा अमावस्या कहते हैं और इस दिन दुर्गा जी की पूजा की जाती है।  बता दें कि धार्मिक कार्यों में कुश की बहुत अहमियत होती है। इसके बिना कोई भी पूजा अधूरा होता है।

और पढ़ें : Sri Krishna Janmashtami 2018: जानें क्या है दही हांडी का इतिहास और परंपरा

9 सितंबर यानी रविवार को कुश ग्रहणी अमावस्या है। कृष्ण पक्ष की अमावस्या को इसे मनाया जाता है। इसे देव पितृ कार्य अमावस्या और पिठोरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।मान्यता है कि इस दिन व्रत और अन्य पूजन कार्य करने से पितरों की आत्मा को शान्ति प्राप्त होती है। अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव होता है, इसीलिए इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण और दान-पुण्य का अत्याधिक महत्व होता है।10 प्रकार के होते हैं कुशइस दिन अलग-अलग तरह के कुश से पूजा करने का विधान है। शास्त्रों में 10 प्रकार कुशों का उल्लेख मिलता है। कुश को उखाड़ने का पारंपरिक तरीका भी होता है। सूर्योदय के समय घास को केवल दाहिने हाथ से उखड़ कर ही एकत्रित करना चाहिए। कुश तोड़ते समय 'हूं फट्' मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसे करें पूजा इस दिन पूर्व या उत्तर मुक्त बैठ कर ही पूजा करें। इस दिन का महत्व बताते हुए कर्इ पुराणों में कहा गया है कि रूद्र अवतार माने जाने वाले हनुमान जी कुश का बना हुआ जनेऊ धारण करते हैं इसीलिए कहा जाता है कांधे मूंज जनेऊ साजे। साथ ही इस दिन को पिथौरा अमावस्या कहते हैं और इस दिन दुर्गा जी की पूजा की जाती है। बता दें कि धार्मिक कार्यों में कुश की बहुत अहमियत होती है। इसके बिना कोई भी पूजा अधूरा होता है। 

Source : News Nation Bureau

puja path Religion work kush grahni amawasya worship
Advertisment
Advertisment
Advertisment