जन्माष्टमी से पहले जानें कहां हुआ था राधा-कृष्णा का विवाह, सिर्फ ये खास लोग कर सकते हैं दर्शन

Janmashtami 2025: राधा रानी और श्री कृष्ण के प्रेम कहानी के बारे में हर कोई जानता है, लेकिन बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि उनका विवाह कहां हुआ था. आइए आपको बताते हैं.

Janmashtami 2025: राधा रानी और श्री कृष्ण के प्रेम कहानी के बारे में हर कोई जानता है, लेकिन बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि उनका विवाह कहां हुआ था. आइए आपको बताते हैं.

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Nidhi Sharma
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lord krishna and radha rani

lord krishna and radha rani Photograph: (Freepik)

Janmashtami 2025:  कृष्ण जन्मोत्सव की धूम चारों तरफ फैल रही है. घर से लेकर मंदिर तक हर जगह बस कन्हैया के भजन और भक्ति में रमे लोग नजर रहे. वहीं इस साल 16 अगस्त दिन शनिवार के दिन जन्माष्टमी  का पर्व मनाया जाएगा. जन्माष्टमी का व्रत हिंदू धर्म में बेहद शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने  से भक्तों को 100 एकादशी जैसा फल मिलता है. वहीं राधा रानी और श्री कृष्ण के प्रेम कहानी के बारे में हर कोई जानता है, लेकिन बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि उनका विवाह कहां हुआ था. आइए आपको बताते हैं. 

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ब्रह्मा जी ने करवाया था विवाह

दरअसल, गर्ग संहिता के अनुसार एक बार नन्द बाबा भगवान कृष्ण को गोद में लेकर गाय चरा रहे थे. धीरे-धीरे वे वन में काफी भीतर चले गए. तभी मौसम अचानक बदल गया और तेज आंधी चलने लगी. इसी समय श्री राधा रानी वहां प्रकट हुईं. नन्द बाबा ने उन्हें प्रणाम किया और बताया कि उन्हें गर्गाचार्य ने यह रहस्य बताया है कि उनकी गोद में स्वयं भगवान श्रीहरि विराजमान हैं. इसके बाद नन्द बाबा ने भगवान कृष्ण को राधा रानी को सौंप दिया और वहां से लौट गए. तभी भगवान श्रीकृष्ण ने अपना युवा रूप धारण किया और ब्रह्मा जी वहां प्रकट हुए. विवाह मंडप और सारी सामग्री पहले से मौजूद थी. ब्रह्मा जी ने वेद मंत्रों के साथ श्री राधा और भगवान कृष्ण का विवाह संपन्न कराया.

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इस जगह हुआ विवाह

भांडीरवन का मंदिर एक विशाल वृक्ष के नीचे स्थित है और इसकी सबसे खास बात है कि यहां भगवान कृष्ण दूल्हे के रूप में और राधा रानी दुल्हन के रूप में विराजमान हैं. मंदिर में दोनों की मूर्तियां एक-दूसरे को वरमाला पहनाते हुए दिखाई देती हैं. साथ ही, ब्रह्मा जी की मूर्ति भी यहां स्थापित है, जो विवाह की रस्में निभा रहे हैं. इस मंदिर के पास एक पवित्र कुंड भी है, जिसे 'भांडीर कुंड' कहा जाता है. यहां का शांत और पवित्र वातावरण भक्तों के मन को भक्ति और आनंद से भर देता है.

कौन कर सकता है दर्शन

भांडीरवन मंदिर के बारे में एक खास मान्यता है कि इस पवित्र स्थल के दर्शन सिर्फ वही लोग कर सकते हैं, जो श्री कृष्ण के समय में किसी-न-किसी रूप जैसे सखियां, मोर, तोते, गाय या बंदर के रूप में इस विवाह के साक्षी बने थे. भक्त मानते हैं कि यहां आने से राधा-कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति आती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.) 

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