जनमाष्टमी के रंग में पूरा देश सराबोर है. बाजारों में लोग कान्हा को सजाने के लिए तरह-तरह के कपड़े और उनके श्रृंगार के लिए मोतियों की माला खरीद रहे हैं. भगवान श्रीकृष्ण के भक्त अपने अराध्य के श्रृंगार के लिए यथाशक्ति खरीदारी कर रहे हैं. लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मध्य प्रदेश के ग्वालियर में राधाकृष्ण का श्रृंगार करीब 50 करोड़ रुपए के जेवरातों से होगा.
बता दें इस साल जन्माष्टमी पर खास संयोग बन रहा है. दरअसल द्वापर युग में जिस तरह अष्टमी को सूर्य और चंद्रमा उच्च भाव में विराजमान थे, ठीक वैसा ही अद्भुत संयोग इस साल की जन्माष्टमी यानी अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में पड़ रहा है. माना जा रहा है कि खास संयोग से भक्तों को विशेष लाभ मिलेगा. भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बरसती रहे और कान्हा के प्रेम में लोग उनके श्रृंगार के लिए नाना प्रकार के वस्त्र और जेवरात खरीद रहे हैं.
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वहीं मध्य प्रदेश के ग्वालियर के फूलबाग गोपाल मंदिर में 23 अगस्त को यानी शुक्रवार को जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान राधाकृष्ण का श्रृंगार करीब 50 करोड़ रुपए के जेवरातों से होगा. सिंधिया राजवंश के ये प्राचीन जेवरात से राधाकृष्ण को सजाया सजाएगा. इन बेशकीमती जेवरातों में हीरे और पन्ना जड़े हैं.
आजादी के पहले से है परंपरा
गोपाल मंदिर में स्थापित भगवान राधाकृष्ण की प्रतिमा को इन जेवरात से श्रृगांर करने की परंपरा आजादी के पहले से है. उस समय सिंधिया राजपरिवार के लोग व रियासत के मंत्री, दरबारी व आम लोग जन्माष्टमी पर राधाकृष्ण के दर्शन को आते थे. उस समय से ही राधाकृष्ण की प्रतिमा को इन जेवरातों से सजाने की परंपरा है.
क्यों है इतने कीमती जेवर
- इन जेवरातों में हीरे-जवाहरात से जड़ा स्वर्ण मुकुट, पन्ना और सोने का सात लड़ी का हार है
- 249 शुद्ध मोती की माला, हीरे जडे़ कंगन, हीरे व सोने की बांसुरी, प्रतिमा का विशालकाय चांदी का छत्र है
- 50 किलो चांदी के बर्तन, भगवान श्रीकृष्ण व राधा के झुमके, सोने की नथ, कंठी, चूडियां, कड़े भी हैं
छावनी बन जाता है मंदिर
जन्माष्टमी के दिन यहां 200 से अधिक जवान तैनात किए जाएंगे. पूरा गोपाल मंदिर पुलिस छावनी में तब्दील होगा. इस बार भी भगवान राधाकृष्ण के दर्शन हेतु डेढ़ से दो लाख भक्तों के आने की संभावना है.