Swaha During Hawan Aahuti Meaning: हवन में आहुति के दौरान क्यों बोला जाता है स्वाहा, जानें इसके पीछे की वजह

आपने ये तो देखा होगा कि हवन करने के दौरान मंत्र के बाद स्वाहा शब्द जरूर बोला जाता है. इसके बाद ही आहुति दी जाती है. लेकिन, क्या आपको पता है कि आखिर हर आहुति पर स्वाहा (swaha during hawan) शब्द क्यों बोला जाता है और इसे बोलना क्यों जरूरी माना जाता है

आपने ये तो देखा होगा कि हवन करने के दौरान मंत्र के बाद स्वाहा शब्द जरूर बोला जाता है. इसके बाद ही आहुति दी जाती है. लेकिन, क्या आपको पता है कि आखिर हर आहुति पर स्वाहा (swaha during hawan) शब्द क्यों बोला जाता है और इसे बोलना क्यों जरूरी माना जाता है

author-image
Megha Jain
New Update
hawan aahuti swaha

hawan aahuti swaha ( Photo Credit : social media)

हिंदू धर्म में हवन (Hawan) करने की परंपरा बहुत पुराने समय से चली आ रही है. सनातन धर्म में कई तरह के धार्मिक अनुष्ठानों के बारे में बताए गए हैं. जिसमें हवन और यज्ञ के विशेष महत्व के बारे में बताया गया है. हिंदू धर्म में शुभ अवसरों या मौकों पर हवन-अनुष्ठान करने का विधान (Swaha in havan) होता है. ये न सिर्फ नया घर खरीदते समय बल्कि शादी-ब्याह जैसे तमाम मौकों पर किया जाता है. आपने ये तो देखा होगा कि हवन करने के दौरान मंत्र के बाद स्वाहा शब्द जरूर बोला जाता है. इसके बाद ही आहुति दी जाती है. लेकिन, क्या आपको पता है कि आखिर हर आहुति पर स्वाहा (swaha during puja) शब्द क्यों बोला जाता है और इसे बोलना क्यों जरूरी माना जाता है? अगर नहीं, तो चलिए हम आपको बताते हैं कि हर आहुति पर स्वाहा शब्द क्यों बोला जाता है. 

Advertisment

यह भी पढ़े : Sawan 2022 Somwar Vrat Niyam Aur Fayade: सावन के पहले सोमवार पर रखा गया व्रत हर शत्रु का करेगा विनाश, इन नियमों का पालन देगा बुरी बाधाओं को काट

स्वाहा का अर्थ क्या होता है -

जब भी हवन होता है उसमें स्वाहा का उच्चारण करते हुए हवन सामग्री हवन कुंड में डाली जाती है. स्वाहा का अर्थ - सही रीति से पहुंचाना होता है. माना जाता है कि कोई भी यज्ञ तब तक सफल नहीं माना जा सकता है जब तक कि हविष्य का ग्रहण देवता न कर लें. देवता ऐसा हविष्य तभी स्वीकार करते हैं जबकि अग्नि के द्वारा स्वाहा के माध्यम से अपर्ण (swaha meaning during havan) किया जाए. 

मनुष्य को देवता से जोड़ती है अग्नि -

दरअसल, ऋग्वैदिक काल में आर्यों ने यज्ञ करने के दौरान देवी-देवताओं तक हवन की सामाग्री सही रिति से पहुंचाने के लिए अग्नि का प्रयोग शुरू किया था. अग्नि एक ऐसा माध्यम है जो मनुष्यों को देवताओं के साथ जोड़ता है और मनुष्य जो भी देवताओं को समर्पित करना चाहता है. वो अग्नि में आहुति देकर उन तक पहुंचा (agni puran story) देते हैं. 

यह भी पढ़े : Sawan 2022 Shivling Jalabhishek Rules: शिवलिंग पर जल चढ़ाने के हैं ये खास नियम, पालन करने से भोलेनाथ होते हैं प्रसन्न

सभी सामग्री स्वाहा को समर्पित -

कथा के मुताबिक, प्रकृति की एक कला के रूप में स्वाहा का जन्म हुआ था. भगवान कृष्ण ने स्वाहा को आशीर्वाद दिया था कि देवताओं को ग्रहण करने वाली कोई भी सामग्री बिना स्वाहा को समर्पित किए देवताओं तक नहीं पहुंच पाएगी. यही कारण है कि हवन के दौरान स्वाहा जरूर बोला जाता है.

भगवान कृष्ण का है वरदान -

पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्वाहा राजा दक्ष की पुत्री का नाम है. दक्ष ने अग्निदेव से स्वाहा का विवाह किया था. इसके अलावा स्वाहा प्रकृति की एक कला था. उसे भगवान श्रीकृष्ण का वरदान प्राप्त था कि केवल उसी के कारण देवतागण आहुति को ग्रहण कर पाएंगे. इसके साथ ही अग्निदेव को हविष्यवाहक भी कहा जाता है. अग्निदेव की पत्नी स्वाहा के पावक, पवमान और शुचि नामक के तीन पुत्र भी हुए.  

swaha yagya meaning swaha during puja swaha during puja meaning swaha hawan meaning swaha meaning during havan swaha meaning hindi swaha agni puran story swaha Hawan Rituals
      
Advertisment