ये हैं हिंदू धर्म के 18 पुराण, जानें किस पुराण में क्या लिखा है और इसका क्या महत्व है

क्या आप जानते हैं कि पुराण क्या हैं. कितने पुराण है और किस पुराण की रचना किसने की थी. हिंदू धर्म के किस पुराण का क्या महत्व है और उसमें क्या लिखा गया है. आइए ये सब विस्तार से जानते हैं.

क्या आप जानते हैं कि पुराण क्या हैं. कितने पुराण है और किस पुराण की रचना किसने की थी. हिंदू धर्म के किस पुराण का क्या महत्व है और उसमें क्या लिखा गया है. आइए ये सब विस्तार से जानते हैं.

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Inna Khosla
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Hindu religion 18 Puranas

Hindu religion 18 Puranas( Photo Credit : News Nation)

पुराण, हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथों का एक विशाल संग्रह है, जो ज्ञान और शिक्षा का भंडार हैं. इन ग्रंथों में धार्मिक कथाएँ, पौराणिक कथाएं, दर्शन, नीतिशास्त्र, ज्योतिष, खगोल विज्ञान, आयुर्वेद और अन्य विषयों का समावेश होता है. पुराण हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों, देवी-देवताओं की कथाओं, त्योहारों और अनुष्ठानों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं. वे भक्तों को सदाचार और नीतिशास्त्र के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं. पुराण भारतीय संस्कृति और परंपराओं का स्रोत हैं. वे लोककथाओं, नीतिवचन, कहावतों और नैतिक शिक्षाओं के माध्यम से सामाजिक मूल्यों को बनाए रखने में मदद करते हैं.

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ब्रह्म पुराण

ब्रह्म पुराण क्या आप जानते हैं ब्रह्म पुराण क्या है? ब्रह्म पुराण के रचियता कौन है? 18 पुराण के नाम की लिस्ट में ब्रह्मा पुराण सबसे पहला और पुराना पुराण है. ब्रह्मपुराण के रचिता महर्षि वेद व्यास जी है तथा इस पुराण को महा पुराण भी कहते हैं. व्यास जी ने इसे संस्कृत भाषा में लिखा. महर्षि व्यास जी ने ब्रह्मा पुराण के 10,000 श्लोकों में कई महत्वपूर्ण बातों और कथाओं के बारे में बताया है. जैसे सृष्टि का जन्म कैसे हुआ, धरती पर जल की उत्पत्ति कैसे हुई? ब्रह्मा जी और देव दानवों का जन्म कैसे हुआ, सूर्य और चंद्र के वंशज कौन थे? श्री राम और कृष्ण की अवतार गाथा ब्रह्मा पूजन विधि मां पार्वती और शिव जी के विवाह. विष्णु जी की पूजन, विधि, श्राद्ध, भारतवर्ष आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसमें अनेक तीर्थों के बारे में सुन्दर और भक्तिमय आख्यान भी दिए गए हैं. साथ ही इस पुराण में कलयुग का भी विवरण दिया गया है. ब्रह्मा देव को आदि देव भी कहते हैं. इसलिए इस पुराण को आदि पुराण के नाम से भी जाना जाता है. 

पद्म पुराण

क्या आप जानते हैं कि पद्म पुराण पद्मा पुराना क्या है और इसके रचियता कौन है? पद्म का अर्थ है कमल का फूल. इसकी रचना भी महर्षि वेद व्यास जी ने संस्कृत भाषा में की तथा इसमें 55,000 श्लोक है. इस पुराण में बताया गया है की ब्रहम देव श्री नारायण जी के ना भी कमल से उत्पन्न हुए थे और उन्होंने सृष्टि की रचना की. इस पुराण के पान खंडों में सृष्टि खंड, भूमि खंड, स्वर खंड, पाताल खण्ड और उत्तर खंड में भगवान विष्णु की महिमा, श्री कृष्ण और श्री राम की लीलाओं, पवित्र तीर्थों की महानता, तुलसी महिमा, विभिन्न व्रतों के बारे में सुंदर और अद्भुत विवरण दिया गया है. 

विष्णु पुराण 

विष्णु पुराण एक पवित्र पुराण है जिसमें 23,000 श्लोक के द्वारा भगवान विष्णु जी की महिमा का अद्भुत विवरण किया गया है. विष्णु पुराण के रचिता पराशर ऋषि है. उन्होंने ये पुराण संस्कृत भाषा में लिखा. इस पुराण में देवी देवताओं की उत्पत्ति, भक्त प्रह्लाद की कथा, समुद्र मंथन, राज़, ऋषियों और देव ऋषियों के चरित्र के बारे में तार्किक ढंग से बताया गया है. साथ ही इसमें कृष्ण और रामकथा का भी उल्लेख है. इसके अलावा इसमें ब्रह्मांड की उत्पत्ति, ग्रह, नक्षत्र, पृथ्वी, ज्योतिष, आश्रम व्यवस्था, वर्ण व्यवस्था, वृहस्त, धर्म, वेद की शाखाओं, श्राद्ध विधि, विष्णु जी और लक्ष्मी माँ की महिमा आदि का भी वर्णन है. 

वायु पुराण

क्या आम जानते है वायु पुराण क्या है? और वायु पुराण के किसने लिखा है? वायु पुराण को शैव पुराण भी कहते हैं तथा इसके रक्षिता हैं श्री वेद व्यास जी 112 अध्याय दो खंडों और 11,000 श्लोकों वाले वायु पुराण में भूगोल, खगोल युग, सृष्टिक्रम तीर्थ, युग श्राद्ध, पितरों, ऋषि वंश, राजवंश, संगीत शास्त्र भेद शाखाओं, शिव भक्ति आदि का विस्तार पूर्वक विवरण दिया गया हैं. इसमें शिव जी की पूजन विधि और उनकी महिमा का विस्तृत वर्णन होने के कारण इसे शिव पुराण भी कहा जाता है. इस पुराण में भारत के बारे में भी लिखा गया है तथा नदी, पर्वतों, द्वीपों और लंका के बारे में भी लिखा गया है. इसके अलावा इसमें वरुण वंश, चंद्र, वंश आदि का भी सुंदर विवरण है. 

भागवत पुराण

भागवत पुराण हिंदू धर्म के 18 में से पांचवा पुराण है. और इसे भागवत और श्रीमद्भागवतम के नाम से भी जाना जाता है. इसके रचियता हैं वेद व्यास जी और उन्होंने इस पुराण को संस्कृत में लिखा. भागवत पुराण में 12 स्कंद और 18,000 श्लोक है. कहते है ये पुराण आत्मा की मुक्ति का मार्ग बताता है. इस पुराण का मुख्य बिंदु प्रेम और भाव भक्ति है. इसमें श्री कृष्ण को भगवान के रूप में बताया गया है और उनके जन्म, प्रेम और लीलाओं का विस्तार पूर्वक विवरण दिया गया है. इसमें पांडवों और कौरवों के बीच हो रहे महाभारत युद्ध और उसमें कृष्ण की भूमिका के बारे में भी बताया गया है. साथ ही श्री कृष्ण ने कैसे देह त्यागा और कैसे द्वारिका नगरी जलमग्न हुई और कैसे समस्त यदुवंशियों का नाश हुआ ये भी बताया गया है. 

नारद पुराण

नारद पुराण को नारदीय पुराण भी कहते है. ऐसा माना जाता है की ये वैष्णव पुराण स्वय नारद मुनि ने कही. जिसे महर्षि वेद व्यास जी ने संस्कृत भाषा में लिखा था. इस पुराण में शिक्षा, ज्योतिष, व्याकरण, गणित और ईश्वर की उपासना की विधि का विस्तार पूर्वक विवरण दिया गया है. इसमें 25,000 श्लोक हैं और इसके दो भाग हैं. पहले भाग में ब्रह्मांड की उत्पत्ति और विनाश, मंत्रोच्चारण, गणेश पूजा और अन्य पूजन विधिया हवन और यज्ञ महीनों में आने वाले व्रतों और विधियों के बारे में बताया गया है. दूसरे भाग में विष्णु जी के अवतारों से जुड़ी कथाओं का सुंदर विवरण है तथा इसमें कलयुग में होने वाले परिवर्तनों के बारे में भी बताया गया है. 

मार्कंडेय पुराण

मार्कंडेय पुराण 18 पुरानो में से सात वा पुराण है. इसमें 137 अध्याय और 9000 श्लोक है तथा ये पुराण बाकी पुरानो से छोटा है. मेहरशी मार्कंडे द्वारा कहे जाने के कारण इसे मारकंडे पुराण कहते हैं. ऐसा कहा जाता है कि ये पुराण दुर्गा चरित्र के विवरण के लिए जाना जाता है. इस पुराण में ऋषि ने मानव कल्याण के लिए भौतिक, सामाजिक, अध्यात्मिक, नैतिक विषयों के बारे में बताया है. इस उड़ान में पक्षियों के पूर्व जन्म और देव इंद्र द्वारा मिले श्राप के कारण हुए रूप विकार के बारे में भी बताया गया है. इसमें द्रोपदी पुत्रों की कथा, बालभद्र कथा, हरीश चंद्र की कथा, बत और आदि पक्षियों के बीच हुआ युद्ध, सूर्य देव के जन्म आदि का भी उल्लेख है. 

अग्निपुराण

अग्निपुराण पुराण के रचियता भी वेद व्यास जी हैं. उन्होंने इसे संस्कृत भाषा में लिखा. अग्निपुराण का नाम अग्नि पुराण इसलिए पड़ा, क्योंकि इसे स्वयं अग्नि देव ने गुरु वशिष्ट को सुनाया था. विस्तृत ज्ञान, भंडार और विविधता के कारण इसका विशेष स्थान है. इस पुराण में त्रिदेवों अर्थात ब्रह्मा देव, विष्णु देव और शिव जी का वर्णन सूर्य पूजन विधि का भी उल्लेख महाभारत और रामायण का संक्षिप्त विवरण है. इसके साथ ही इसमें कुर्म और मत्स्य अवतार, दीक्षा विधि, सृष्टि का सृजन, वास्तुशास्त्र, पूजा मंत्रो आदि का सुंदर प्रतिपादन है. अग्नि पुराण में 383 अध्याय और 12,000 श्लोक है. इस उड़ान को विष्णु भगवान का बाया चरण भी कहते है. ये पुराण आकार में सबसे छोटा है फिर भी इसमें सभी विद्याओं का समावेश है. 

भविष्य पुराण

क्या आप जानते हैं कि भविष्य पुराण क्या है और इसके रचियता कौन है? भविष्य पुराण 18 पुरणो में से नौवां पुराण है. इसकी रचना भी महर्षि वेद ब्यास जी ने संस्कृत भाषा में की थी. भविष्य पुराण में 14,500 श्लोक हैं तथा इसमें धर्म, नीति, सदाचार, व्रत, दान, आयुर्वेद और ज्योतिष आदि के बारे में लिखा गया है. इसमें विक्रम बेताल के बारे में भी बताया गया है. जैसा की नाम से ही प्रतीत होता है. इसमें कई भविष्यवाणियां की गई जो सही साबित हुई. इसमें पृथ्वीराज चौहान, हर्षवर्धन महाराज, शिवाजी महाराज जैसे वीर हिंदू राजाओं और मोहम्मद तुगलक, अलाउद्दीन, बाबर, तैमूरलंग, अकबर रानी, विक्टोरिया आदि के बारे में कहा गया है. इसकी शैली और विषय वस्तु के कारण बहुत महत्वपूर्ण है. इसमें सूर्य देव की पूजन विधि और महिमा का भी विवरण है. 

ब्रह्मवैवर्त पुराण

ब्रह्मवैवर्त पुराण में 218 अध्याय और 18,000 श्लोक हैं. इसमें कई स्रोत और भक्तिपूर्ण आख्यान है. इस उड़ान में यशोदानंदन को ही परब्रह्म माना गया है और ये भी माना गया है की उनकी इच्छा अनुसार ही इस सृष्टि का निर्माण हुआ. ये भी बताया गया है की कृष्ण से ही शिवजी, विष्णु जी, ब्रह्मा देव और समस्त प्रकृति का जन्म हुआ. इस पुराण में धरती पर जीवों की उत्पत्ति कैसे हुई और कैसे? सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी ने धरती, जल और वायु में अनगिनत जीवों के जन्म और उनके लिए पालन पोषण की व्यवस्था की? इस बात का विस्तार पूर्वक विवरण दिया है. इसमें श्री राम और श्री कृष्ण की लीलाओं, गणेश जी के जन्म कथा और उनकी लीला का भी वर्णन है. 

लिंग पुराण

लिंग पुराण में 11,000 श्लोकों में शिव महिमा का सुंदर चित्रण किया गया है. इसमें भोलेनाथ के 28 अवतारों के बारे में बताया गया है. इसमें रुद्रवतार और लिंगोध्भव की कथा का. बर्ण है. इस पुराण में सृष्टि के कल्याण के लिए भोलेनाथ द्वारा ज़ोर तिलिंग के रूप में प्रकट होने की घटना का भी विवरण है. इसके अलावा इसमें उन व्रतों, शिव पूजन और यज्ञ के बारे में भी लिखा गया है, जिसे करने से मुक्ति प्राप्त होती है. 

वाराह पुराण

वाराह पुराण 18 पुरानो में से बारहवां पुराण है और इसके रचियता भी महर्षि वेद व्यास है. उन्होंने इसे संस्कृत भाषा में लिखा है तथा इस पुराण में 270 अध्याय और 10,000 श्लोक है. इस पुराण में विष्णु जी के वराह अवतार का उल्लेख है. ऐसा माना जाता है की विष्णु जी धरती के उधार के लिए वराह रूप में अवतरित हुए थे. इसमें वराह कथा, व्रत, तीर्थ दान, यज्ञ आदि का वर्णन है. इसमें श्री नारायण जी की पूजा विधि, मां पार्वती और शिव जी की कथा, तीर्थों आदि को विस्तृत रूप से लिखा गया है. इसमें वराह देव के धर्मोपदेश और ऋषियों एवं संतों को दान दक्षिणा देने से होने वाले पुण्य का भी उल्लेख है. इसमें गणपति चरित्र, शक्ति, महिमा, कार्तिकेय, चरित्र, त्रिशक्ति, महात्मा आदि का भी विवरण है तथा इसमें गोदान को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है. और संस्कारों अनुष्ठानों की विधियों के बारे में भी बताया गया है. 

स्कंद पुराण

स्कंद पुराण में क्या लिखा है किसने लिखा है ये भी जान लें. स्कंद पुराण 18 पुरानो में तेरहवां पुराण है तथा इसकी रचना वेद व्यास जी ने संस्कृत भाषा में की थी. इस पुराण में शिव पुत्र कार्तिके जिनका एक नाम स्कंद भी है के बारे में बताया गया है. इस पुराण के 81,100 श्लोक में अयोध्या, यमुना, बद्रिका आश्रम, द्वारका, जगन्नाथपुरी, कांची, कन्याकुमारी, काशी, रामेश्वर आदि तीर्थों की महिमा का सुंदर चित्रण है. इसमें नर्मदा, गंगा, सरस्वती नदियों के उदगम के बारे में कथाएं लिखी गयी है. तथा इसमें हर महीने आने वाले व्रतों और उनकी कथाओं का भी विवरण है. इसमें धर्म योग, सदाचार, भक्ति और ज्ञान के बारे में सुंदर विवेचन किया गया है. इसमें कई महान संतों शिव पार्वती, विवाह सतीत्व, तार का सुरवध और कार्तिकेय के जन्म की कथा का मनोरम वर्णन है. 

वामन पुराण

वामन पुराण, 18 पुराणों में से चौदहवां पुराण है तथा इसके लेखक हैं वेद व्यास और इसे उन्होंने संस्कृत में लिखा इस धार्मिक ग्रन्थ में भगवान विष्णु के वामन अवतार के बारे में लिखा गया है. इसमें कुल 10,000 श्लोक हैं. लिंग की पूजा विधि शिव पार्वती विवाह, गणेश पूजन आदि के विषय में बताया गया हैं. इसके अलावा इसमें भगवती दुर्गा, नरनारायण, देव और उनके परम भक्त जैसे भक्त प्रह्लाद और श्री दामा के बारे में सुंदर आख्यान हैं. इसमें कई व्रतों, नियमों और स्रोतों का भी उल्लेख हैं. 

कूर्म पुराण

कूर्म पुराण 18 पुरानों में पन्द्रहवां पुराण है. ये पुराण श्री हरी विष्णु द्वारा कथित हैं. इसमें पाप का नाश करने वाले व्रतों का उल्लेख हैं. इसमें कुल 18,000 श्लोक हैं जिसे चार संहिताओ, ब्राह्मी, भागवती, सॉरी, वैष्णवी में बांटा गया था. इसमें विष्णु की दिव्य लीलाओं का खुबसूरत विवरण है. इसमें यदवंश शिवलिंग की महिमा, वामन अवतार, वर्णाश्रम धर्म आदि का सुन्दर वर्णन है. इस उड़ान में काल गणना, ब्रह्मा देव की आयु, गंगा और पृथ्वी की उत्पत्ति आदि के बारे में भी विस्तार से उल्लेख किया गया है तथा इसमें प्रलय काल का भी वर्णन है. 

मत्स्य पुराण

मत्स्य पुराण 18 पुराणों में से सोलहवां पुराण हैं. इस पुराण के 14,000 श्लोकों में विष्णु जी के मत्स्य अवतार के बारे में बताया गया हैं. विष्णु जी ने अपने मत्स्य अवतार में सप्तऋषियों और राजा वैबसूरत मनु को जो उपदेश दिए थे उसी पर ये पुराण आधारित हैं. इसमें कई व्रतों, दान, तीर्थों, यज्ञों की महिमा का उल्लेख है. इसमें मत्स्य व मनो के बीच हुए संवाद, जल प्रलय, तीर्थ यात्रा और राजधर्म, नर्मदा महात्मा काशी, महात्मा प्रयाग, महा त्रिदेवों की महिमा और दान धर्म पर विशेष तौर पर लिखा गया है. इसमें नव ग्रह तीनों युगों तार का सुरवध कथा. अवतार सावित्री कथा के बारे में भी उल्लेख है.

गरुड़ पुराण

गरुड़  पुराण 18 पुराणों में से सत्रहवां पुराण है. यह पुराण विष्णु भक्ति पर आधारित है. सनातन धर्म में व्यक्ति की मृत्यु के बाद इस पुराण के पाठ को पढ़ने का प्रावधान है. तथा ऐसा करने से आत्मा को मुक्ति मिलती है ऐसा माना जाता है. गरूर पुराण पढ़ने से आत्म ज्ञान होता है. इसके 19,000 श्लोकों में भक्ति, वैराग्य, निष्काम सदाचार, शुभ कर्मों, तीर्थ दान आदि की महत्ता के बारे में वर्णन किया गया है. इसमें व्यक्ति की अंतिम यात्रा और उस दिन किए जाने वाले सभी कार्यों का विवरण है. मृत्यु के बाद क्या क्या होता है और मनुष्य की आत्मा की दशा क्या होती है सब वर्णित है. इसमें ज्योतिष, धर्मशास्त्र और योग का भी विवरण है. 

ब्रह्माण्ड पुराण

ब्रह्माण्ड पुराण 18 प्राणों के क्रम में आखिरी पुराण है और इसके रचियता वेद व्यास ही हैं. इसके तीन भाग पूर्व, मध्य और उत्तर भाग और 12,000 श्लोक हैं. ये आखिरी पुराण है लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से ये बहुत महत्वपूर्ण है. इस उड़ान और खगोल शास्त्र भी कहते हैं. इसमें समस्त ब्राह्माण और ग्रहों का विस्तृत वर्णन है. इसमें चंद्रवंशी और सूर्यवंशी राजाओं के बारे में बताया गया है. जब से सृष्टि का जन्म हुआ है तब से लेकर अब तक सात काल बीत चूके हैं और इन सभी सात कालों के बारे में ब्रह्माण्ड पुराण में वर्णित है. इसमें परशुराम कथा भी लिखी गई है. मित्रों, आज का हमारा यह प्रस्तुति कैसा लगा कमेंट करके अवश्य बताएगा.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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