Navratri 2021: अष्टमी के दिन इस प्रकार से करेंगे पूजन आराधन, देवी मां हो जाएंगी प्रसन्न
आज नवरात्रि का आंठवा दिन यानि की अष्टमी है. इस दिन महागौरी के स्वरूप की पूजा की जाती है. साथ ही अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन महाअष्टमी मनाने की परंपरा तो बरसों से चली आ रही है.
highlights
- अष्टमी के दिन महागौरी की पूजा की जाती है.
- महागौरी को मां पार्वती का ही रूप माना जाता है.
- इस दिन घरों में कंजक बुलाई जाती है और उन्हें देवी का रूप मानकर बड़े ही आदर के साथ भोजन करवाया जाता है.
नई दिल्ली:
आज नवरात्रि का आंठवा दिन यानि की अष्टमी है. इस दिन महागौरी के स्वरूप की पूजा की जाती है. साथ ही अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन महाअष्टमी मनाने की परंपरा तो बरसों से चली आ रही है. इस मौके पर आज 13 अक्टूबर को महाष्टमी मनाई जा रही है. इस दिन घरों में कंजक बुलाई जाती है और उन्हें देवी का रूप मानकर बड़े ही आदर के साथ भोजन करवाया जाता है. जो लोग अष्टमी पूजन करते हैं. वो सप्तमी के दिन फास्ट रखते है. ये तो खैर सभी जानते हैं कि इस बार नवमी 14 अक्टूबर को मनाई जाएगी और दशहरे का त्योहार 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस लिए, आपको इस दिन पर आपको अष्टमी से संबंधित पूजा विधि, मंत्र, शुभ मुहूर्त के साथ कुछ ऐसे उपाय भी बताएंगे. जिसके चलते मां की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी.
नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महागौरी को मां पार्वती का ही रूप माना जाता है. पुरानी कथाओं के अनुसार ये माना जाता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए घोर तपस्या की थी. जिसके कारण मां का रंग काला पड़ गया था. इसी के चलते भगवान शिव ने उन पर गंगाजल छिड़ककर उन्हें फिर से गौरा कर दिया था. इसलिए उन्हें तभी से महागौरी के रूप में जाना जाने लगा. इस दिन के शुभ मुहूर्त की बात करें तो हिंदू कैलेंडर के मुताबिक हमेशा से ही आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष को अष्टमी तिथि को ही महाअष्टमी मनाई जाती है.
वहीं दूसरे नंबर पर कन्या पूजन आता है. कन्या पूजन बोलते ही पूड़ी-सब्जी और हलवा याद आता है. माना जाता है कि इस दिन कन्या देवी मां के रूप में घर में प्रवेश करती हैं. श्रद्धा के साथ उन्हें हलवा-चने, पूड़ी-सब्जी का भोजन करवाया जाता है. कन्या पूजन के बिना मां दुर्गा की पूजा को अधूरा माना जाता है. इस परंपरा को कुमारी पूजन भी कहा जाता है. मान्यता ये भी है कि इस दिन मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और भक्तों को ऐश्वर्य प्राप्त होता है.
अब वहीं अष्टमी के दिन पर पूजा विधि की बात की जाए. तो इस दिन नहा-धोकर साफ कपड़े पहने जाते हैं. उसके बाद हाथ में जल और अक्षत् लेकर दुर्गा अष्टमी व्रत करने तथा मां महागौरी की पूजा करने का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद पूजा स्थान पर मां महागौरी या दुर्गा जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करके कलश स्थापना की जाती है. पूजा में मां महागौरी को सफेद और पीले फूल ही अर्पित किए जाने चाहिए. ऐसा करने से देवी महागौरी खुश होती हैं. पूजा के समय महागौरी बीज मंत्र का जाप करना चाहिए और अंत में मां महागौरी की आरती करनी चाहिए.
इस दिन मां को प्रसन्न करने के लिए आज के दिन सुहागनों को देवी मां को लाल रंग की साड़ी और ऋंगार का सामान भेंट में देना चाहिए. अगर हो सके तो एक चांदी का सिक्का साथ में देना चाहिए. इससे घर परिवार में सुख-समृद्धि आती है. साथ में धन की कभी कमी नहीं होती. इसके साथ ही इस दिन मां दुर्गा को लाल रंग की चुनरी में सिक्के और बताशे रख कर चढाने चाहिए. ऐसा करने से मां सभी मनोकामनाएं जल्दी ही पूरी करती हैं.
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