Mythological Story: योग का आरंभ कब और कैसे हुआ, जानें आदि योगी और सप्तऋषियों की पौराणिक कहानी 

Mythological Story : आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि UN ने 21 जून का दिन ही योगा डे मनाने के लिए क्यों चुना, अगर नहीं तो आप ये पौराणिक कथा जरूर पढ़ें.

Mythological Story : आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि UN ने 21 जून का दिन ही योगा डे मनाने के लिए क्यों चुना, अगर नहीं तो आप ये पौराणिक कथा जरूर पढ़ें.

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Inna Khosla
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yoga mythological story

yoga mythological story( Photo Credit : News Nation)

Mythological Story: लगभग 15,000 वर्ष पूर्व हिमालय में एक योगी पहुंचे. उनके भूत, वर्तमान आदि के विषय में किसी को कोई जानकारी नहीं थी. दिन बीतते गए, परंतु वे योगी कुछ नहीं बोले. उनकी देह और चेहरे पर इतना तेज था कि उनको देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा होने लगी. सभी उनसे उनके विषय में पूछते थे, परंतु वे कोई उत्तर नहीं देते. थे. वे महीनों तक केवल ऐसे ही बैठे रहे. बिना कुछ ग्रहण किए बिना कोई नित्य क्रिया किए वे एक स्थान पर स्थिर रहे. यह देख लोग किसी चमत्कार की अपेक्षा कर रहे थे. लोगों को केवल इस बात से उनके जीवित होने का प्रमाण मिल रहा था कि कुछ कुछ समय पश्चात उनके आंसू बह रहे थे. यह आंसू परम आनंद के थे. जब व्यक्ति बहुत आनंदित होता है, तब भी उसके अश्रु बहते हैं. उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. 

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उन्हें इस प्रकार स्थिर देख लोग वहां से जाने लगे और अंत में केवल सात लोग रुके रहे. वे ये समझ गए थे कि योगी निरंतर केवल एक ही स्थिति में बैठे हैं अर्थात वे इस संसार के बंधनों, भौतिकता आदि से परे हैं, इन सात लोगों को सप्तऋषि कहा गया और जो योगी वहां बैठे थे वे आदि योगी थे. सप्तऋषि आदि योगी के प्रथम शिष्य थे. उन सात लोगों की रूचि देखकर आदि योगी ने उन्हें प्रारंभिक शिक्षा देना आरंभ की और उनकी शिक्षा अनेक वर्षों तक चली. जब एक दिन सूर्य की दिशा परिवर्तित हो रही थी, सूर्य जब दक्षिण की दिशा में मुड़ा तब वे भी दक्षिण की ओर मुड़कर मनुष्य होने का विज्ञान समझाने लगे. यह वही तिथि थी जो प्रतिवर्ष 21 जून को आती है. इसी दिन योग का आरंभ हुआ. इसलिए ही इस दिन को संयुक्त राष्ट्र के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया है.

जब धरती पर कोई धर्म या जात पात नहीं था, योग का आरंभ तभी हो गया था. उन्होंने सप्त ऋषियों को मनुष्य होने का यंत्र विज्ञान विस्तृत रूप से समझाया. जिसमें आदि योगी ने 112 मार्ग बताए. जिससे व्यक्ति अपनी वास्तविक स्थिति अथवा परम प्रकृति को प्राप्त कर सकता है और तब से सम्पूर्ण योग विज्ञान इन्हीं मार्गो का अनुसरण करता आया है. सप्तऋषि योग विद्या का प्रचार करने सात भिन्न भिन्न दिशाओं में गए और मित्रों इस प्रकार योग का आरंभ हुआ जिसका लाभ आज हम सब ले रहे हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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