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Ajitnath Bhagwan Chalisa: अजितनाथ भगवान की पढ़ेंगे ये चालीसा, पाप-ताप से मिलेगी मुक्ति और दूर होगी हर बाधा

अजितनाथ भगवान (ajitnath bhagwan) जैन धर्म के दूसरे तीर्थंकर हैं. उनके इस चालीसा में उनके पवित्र चरित का वर्णन है. जो भी लोग श्रद्धा-भक्ति के साथ रोजाना इस चालीसा का पाठ करते हैं उनकी सारी मुरादें पूरी (shri ajitnath bhagwan chalisa) हो जाती हैं.

Updated on: 03 May 2022, 09:56 AM

नई दिल्ली:

अजितनाथ भगवान (ajitnath bhagwan) जैन धर्म के दूसरे तीर्थंकर हैं. इनका चालीसा (ajitnath bhagwan ki chalisa) सभी पाप-ताप से मुक्ति दिलाता है. जैन धर्म के द्वितीय तीर्थंकर भगवान अजितनाथ (bhagwan shri ajitnath chalisa) का जन्म अयोध्या में हुआ था. इस चालीसा में उनके पवित्र चरित का वर्णन है. जो भी लोग श्रद्धा-भक्ति के साथ रोजाना इस चालीसा का पाठ करते हैं. उनके सारे रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं. इसके साथ ही सारी मुरादें पूरी (shri ajitnath bhagwan chalisa) हो जाती हैं.  

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अजितनाथ भगवान का चालीसा (ajitnath bahgwan chalisa hindi)

श्री आदिनाथ को शिश नवा कर, माता सरस्वती को ध्याय ।

शुरू करूँ श्री अजितनाथ का, चालीसास्व – सुखदाय ।।

जय श्री अजितनाथ जिनराज । पावन चिह्न धरे गजराज ।। 

नगर अयोध्या करते राज । जितराज नामक महाराज ।।

विजयसेना उनकी महारानी । देखे सोलह स्वप्न ललामी ।।

दिव्य विमान विजय से चयकर । जननी उदर बसे प्रभु आकर ।।

शुक्ला दशमी माघ मास की । जन्म जयन्ती अजित नाथ की ।।

इन्द्र प्रभु को शीशधार कर । गए सुमेरू हर्षित हो कर ।।

नीर शीर सागर से लाकर । न्हवन करें भक्ति में भरकर ।।

वस्त्राभूषण दिव्य पहनाए । वापस लोट अयोध्या आए ।।

अजित नाथ की शोभा न्यारी । वर्ण स्वर्ण सम कान्तिधारी ।।

बीता बचपन जब हितकारी । हुआ ब्याह तब मंगलकारी ।।

कर्मबन्ध नही हो भोगो में । अन्तदृष्टि थी योगो में ।।

चंचल चपला देखी नभ में । हुआ वैराग्य निरन्तर मन में ।।

राजपाट निज सुत को देकर । हुए दिगम्बर दीक्षा लेकर ।।

छः दिन बाद हुआ आहार । करे श्रेष्ठि ब्रह्मा सत्कार ।।

किये पंच अचरज देवो ने । पुण्योपार्जन किया सभी ने ।।

बारह वर्ष तपस्या कीनी । दिव्यज्ञान की सिद्धि नवीनी ।।