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Ravi Pradosh Vrat 2022 Significance and Pujan Vidhi: रवि प्रदोष व्रत का जानें महत्व और अपनाएं ये पूजन विधि, धन और अच्छे स्वास्थ्य की होगी प्राप्ति

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat 2022) इस साल 12 जून को है. इस दिन सच्चे मन से की गई आराधना इंसान की हर मनोकामना को पूरा कर देती है. तो, चलिए आपको इस दिन के महत्व और पूजा विधि के बारे में बताते हैं. 

Updated on: 11 Jun 2022, 10:30 AM

नई दिल्ली:

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत (pradosh vrat 2022) का बहुत महत्व होता है. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat 2022) इस साल 12 जून को है. इस दिन दो शुभ योग का निर्माण हो रहा है. एक तो शिव योग और दूसरा सिद्ध योग बन रहा है. ये दोनों ही योग शुभ मांगलिक कार्यों के लिए अच्छे माने जाते हैं. ये दिन शिव जी को समर्पित होता है. शिव जी की पूजा सभी कष्टों (Ravi Pradosh Vrat 2022 june) को दूर करने वाली मानी गई है.

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ऐसा माना जाता है कि इस दिन महादेव और सूर्य देव की संयुक्त कृपा (jyeshtha pradosh vrat 2022) मिल जाती है. इस दिन सच्चे मन से की गई आराधना इंसान की हर मनोकामना को पूरा कर देती है. तो, चलिए आपको इस दिन के महत्व और पूजा विधि के बारे में बताते हैं. 

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रवि प्रदोष व्रत 2022 पूजन विधि 

प्रदोष व्रत के दिन देवी पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय और नंदी के साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस दिन अनुष्ठान होता है. उसके बाद भगवान शिव की पूजा की जाती है. आप चाहे तो शिवलिंग का पूजन (ravi pradosh vrat 2022 pujan vidhi) भी कर सकते हैं. इसके लिए शिवलिंग को दूध, दही और घी जैसे पवित्र पदार्थों से स्नान कराया जाता है. इसके बाद जल से स्नान करा दें. इसके बाद सबसे पहले तांबे के लोटे में जल और शक्कर डालकर सूर्य को अर्घ्य दें.

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इसके साथ ही भगवान को फूल, माला के साथ बेलपत्र, धतूरा आदि चढ़ा दें. फिर, भोग लगा दें. भोग लगाने के बाद धूप-दीप जलाकर भगवान शिव के मंत्र, चालीसा और व्रत कथा का पाठ कर लें. भगवान शिव के मंत्र नमः शिवाय का जाप करें. प्रदोष काल में शिव जी को पंचामृत से स्नान करवाएं. साबुत चावल की खीर और फल भगवान शिव को अर्पित करें. आसन पर बैठकर ॐ नमः शिवाय के मंत्र या पंचाक्षरी स्तोत्र का 5 बार पाठ करें. अंत में शिव जी की आरती कर लें. 

रवि प्रदोष व्रत 2022 महत्व 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्कंद पुराण शास्त्र में प्रदोष व्रत का खास महत्व (ravi pradosh vrat 2022 significance) बताया गया है. माना जाता है कि त्रयोदशी तिथि पर शाम के समय भगवान शिव कैलाश पर प्रसन्न होकर नृत्य करते हैं. इसलिए, शाम के समय प्रदोष काल की अवधि में भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए उनकी पूजा की जाती है. जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव भक्तों के मनोरथ पूरा करते हैं. कहा जाता है कि जो कोई भी इस दिन भगवान शिव की पूजा करने के साथ व्रत रखता है. उसे संतोष, धन और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. प्रदोष व्रत सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भी रखा जाता है. माना जाता है कि प्रदोष व्रत (ravi pradosh vrat 2022 importance) के दिन भगवान शिव की एक झलक भी आपके सभी पापों को समाप्त कर देगी और आपको भरपूर आशीर्वाद और सौभाग्य प्रदान करेगी.