एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी की तिथि को निर्जला एकादशी (nirjala ekadashi 2022) के नाम से जाना जाता है. इस व्रत को सभी कठिन व्रतों में से एक बताया गया है. इसे भीमसेनी एकादशी (bhimeseni ekadashi 2022) भी कहा जाता है. इस व्रत को विधि पूर्वक करने वालों को विशेष पुण्य प्राप्त होता है. लेकिन, कई लोगों को व्रत रखने के बाद भी पूरा फल नहीं मिल पाता है. क्योंकि, वो जाने-अनजाने में कई गलतियां कर बैठते हैं. इसलिए, आज हम आपको इस व्रत के कुछ नियमों (nirjala ekadashi 2022 vrat niyam) के बारे में बता रहे हैं. जिनका पालन करने से आपको पूर्ण फल की प्राप्ति होगी.
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निर्जला एकादशी 2022 व्रत नियम -
निर्जला एकादशी के व्रत में कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है:
1) निर्जला एकादशी के व्रत के दौरान भक्तों को एक दिन पहले ही अर्थात दशमी तिथि को शाम को भोजन नहीं करना चाहिए. इस दिन केवल फल और तरल खाद्य पदार्थ जैसे पानी और जूस आदि ही ग्रहण करें.
2) एकादशी व्रत के नियम के मुताबिक, पारण के बाद ही जल ग्रहण किया जाता है. व्रत का पारण शुभ मुहूर्त में ही करें. व्रत पारण का समय- 11 जून सुबह 5 बजकर 49 मिनट' से 8 बजकर 29 मिनट तक है.
3) निर्जला एकादशी के व्रत में जल के त्याग का नियम है. यही कारण है कि निर्जला एकादशी का व्रत कठिन व्रतों में से एक है.
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4) इस व्रत के दौरान रात्रि में शयन न करें. बल्कि, पूरी रात्रि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का ध्यान करें.
5) व्रत के अगले दिन स्नान करके विधि पूर्वक पूजा करें और गरीब ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें.
6) इस दिन भगवान के नाम का जाप करें और किसी को कटु वचन न बोलें. इस दिन विशेष कर महिलाओं और बुजुर्गों का सम्मान करें.
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निर्जला एकादशी 2022 खास योग -
निर्जला एकादशी के दिन कुछ खास योग (nirjala ekadashi 2022 yog) बन रहे हैं. चलिए, उनके बारे में जान लें.
रवि योग - 10 जून को सुबह 5 बजकर 23 मिनट से शुरू होकर 11 जून सुबह 3 बजकर 37 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग - 11 जून सुबह 5 बजकर 23 मिनट से 12 जून सुबह 2 बजकर 5 मिनट तक
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शिव योग - 11 जून शाम 08 बजकर 46 मिनट से 12 जून शाम 05 बजकर 27 मिनट तक
स्वाति नक्षत्र - 11 जून सुबह 03 बजकर 37 मिनट से 12 जून सुबह 02 बजकर 05 मिनट तक