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Mithun Sankranti 2022 Shubh Muhurat and Katha: मिथुन संक्रांति पर शुभ मुहूर्त में पढ़ेंगे ये कथा, सूर्य देव की बरसेगी कृपा

इस साल मिथुन संक्रांति 15 जून, 2022 (Mithun Sankranti 2022 date) को मनाई जाएगी. मिथुन संक्रांति का दिन सूर्यदेव की पूजा (lord surya dev puja) को समर्पित होता है. इस दिन विधि-विधान के साथ सूर्य देव की पूजा की जाती है.

Updated on: 14 Jun 2022, 10:03 AM

नई दिल्ली:

सूर्य का एक राशि से दूसरे में प्रवेश करना संक्रांति (Mithun Sankranti 2022) कहलाता है. इस बार मिथुन संक्रांति 15 जून, 2022 (Mithun Sankranti 2022 date) को मनाई जाएगी. साल भर में कुल 12 संक्रांति मनाई जाती है. इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है. माना जाता है कि इस दिन से वर्षा ऋतु की शुरुआत हो जाती है. इस दिन को रज संक्रांति (raja sankranti) के नाम से भी जाना जाता है. ये दिन सूर्यदेव की पूजा (lord surya dev puja) को समर्पित होता है. इस दिन विधि-विधान के साथ सूर्य देव की पूजा की जाती है. तो, चलिए इस दिन के शुभ मुहूर्त और कथा के बारे में जान लें.  

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मिथुन संक्रांति 2022 शुभ मुहूर्त 
मिथुन संक्रांति इस साल 15 जून को मनाई जाएगी. मिथुन संक्रांति का पुण्यकाल (Mithun Sankranti 2022 puja shubh muhurat) का समय दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से शुरू होगा और शाम को 7 बजकर 20 मिनट तक रहेगा. आपको बता दें कि पुण्यकाल की पूरी अवधि 7 घंटे 2 मिनट है. वहीं, महापुण्य काल का समय दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगा और दोपहर 2 बजकर 38 मिनट कर रहेगा. इसकी कुल अवधि 2 घंटा 20 मिनट है.

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मिथुन संक्रांति 2022 कथा 
माना जाता है कि जैसे औरतों को हर महीने मासिक धर्म होता है. जो उनके शरीर के विकास का प्रतीक है. वैसे ही धरती मां या भूदेवी को भी शुरुआत के तीन दिनों में मासिक धर्म हुआ. जो धरती के विकास का प्रतीक है. मिथुन संक्रांति पर्व में ये तीन दिन यही माना जाता है कि भूदेवी को मासिक धर्म हो रहे है. चौथे दिन भूदेवी को स्नान कराया गया. इस दिन को वासुमती गढ़ुआ कहते है. पिसने वाले पत्थर जिसे सिल बट्टा कहते है, भूदेवी का रूप माना जाता है. इस पर्व में धरती की पूजा की जाती है, ताकि फसल अच्छी मिल सके. विष्णु के अवतार जगतनाथ भगवान की पत्नी भूदेवी की चांदी की प्रतिमा आज भी उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर (Mithun Sankranti 2022 katha) में विराजमान है.