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क्या आप जानते हैं भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की कहानी, शिवपुराण में है इसका उल्लेख

आज गुरुवार है और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का खास महत्व है. मान्यता है कि आज के दिन पालनहर्ता विष्णु की अराधना करने से भक्तों को सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है. इसके साथ ही उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है

Updated on: 21 Jan 2021, 11:07 AM

नई दिल्ली:

आज गुरुवार है और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का खास महत्व है. मान्यता है कि आज के दिन पालनहर्ता विष्णु की अराधना करने से भक्तों को सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है. इसके साथ ही उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. हिंदू धर्म में गुरुवार के दिन विष्णु जी की पूजा के लिए बेहद ही खास माना जाता है. गुरुवार का व्रत और विधिवत् पूजा करने से शादी में आ रही अड़चन भी दूर हो जाती है.

कहते हैं संसार में जब-जब अन्याय बढ़ता है तो भगवान विष्णु धरती पर अवतार लेते हैं. संसार को रावण और कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए भी उन्होंने राम और कृष्ण का अवतार लिया था. भगवान विष्णु को इसलिए भी पालनहर्ता कहते हैं. विष्णु जी हमेशा अपने सुदर्शन चक्र के साथ नजर आते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके हाथ में ये सुदर्शन चक्र कहां से आया. 

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धार्मिक कथाओं के मुताबिक, एक समय में राक्षस और दैत्यों का अतयाचार काफी बढ़ गया था. उनसे परेशान होकर सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से गुहार लगाई. इसके बाद लक्ष्मीपति नारायण ने कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान भोलेनाथ की अराधना की.  महादेव को प्रसन्न करने के लिए विष्णु जी ने एक हजार नामों से भगवान शिव की स्तुति करने लगे और हर नाम के साथ कमल का फूल अर्पित करते गए.  

भोलेनाथ ने विष्णु जी की परीक्षा लेने के लिए एक हजार कमल में से एक कमल का फूल छिपा दिया. एक फूल कम देखकर विष्णु जी उसे खोजने लगे और अंत में जब फूल नहीं मिला तो अपने एखक नयन (आंख) को निकाल शिवजी पर चढ़ा दिया. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा और भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने उनसे वरदान मांगने के लिए कहा. फिर भगवान विष्णु ने अजेय शस्त्र का वरदान मांगा. शिव शंकन ने फिर उन्हें सुदर्शन चक्र दिया. विष्णु ने उस चक्र से दैत्यों का संहार कर दिया और देवताओं को दैत्यों से मुक्ति मिली.  इस तरह सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु के साथ सदैव रहने लगा.

 

(नोट- इस खबर की हम पुष्टि नहीं करते हैं. ये पूरा जानकारी कथाओं और मान्यताओं के आधार पर लिखी गई है.)